नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 दिसंबर से दो दिनों के लिए मिडिल ईस्ट के तेल समृद्ध देश कुवैत की यात्रा पर जा रहे हैं. प्रधानमंत्री के दौरे से पहले दोनों देशों के विदेश मंत्री एक-दूसरे देश की यात्राएं करके पीएम मोदी के इस अहम दौरे के लिए मंच तैयार कर चुके हैं. कुवैत भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण देश माना जाता है. यहां भारी संख्या में भारतीय रहते हैं और अपनी कमाई भारत भेजते हैं.
भले ही दोनों देशों के नेता के दौरे एक-दूसरे देश के लिए सीमित रहे हैं लेकिन दोनों के बीच मज़बूत कारोबारी और सांस्कृतिक रिश्ते हैं. कुवैत में तेल मिलने से पहले ही भारत और कुवैत के बीच समुद्री रास्ते से कारोबार होता था. 1961 तक कुवैत में भारत का रुपया चलता था. बता दें कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त 2024 में कुवैत का दौरा किया जबकि कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल याह्या 3-4 दिसंबर को भारत आए.
कुवैत भारत से 3300 किलोमीटर बसा हुआ है. कुवैत की अर्थव्यवस्था काफी हद तक विदेशी मजदूरों पर निर्भर है. यहां रहने वाले ज्यादातर भारतीय मजदूरी करते हैं. इस मजदूरी से उनकी कमाई तो अच्छी हो जाती है. कुवैत के भारतीय दूतावास के मुताबिक यहां लगभग 10 लाख भारतीय रहते हैं, जो कुवैत की कुल आबादी का 21 फीसदी है. इतना ही नहीं, कुवैत की कुल वर्कफोर्स में भी 30 फीसदी भारतीय ही हैं.
कुवैत में भारतीयों की आबादी भी 10 लाख के पार चली गई है. 10 लाख भारतीयों में से 8.85 लाख से ज्यादा भारतीय वहां मजदूरी करते हैं. गौर करने वाली बात है कि कुवैत में भारतीय सिर्फ मजदूरी नहीं करते. कुवैत में एक हजार से ज्यादा भारतीय डॉक्टर हैं. 500 डेंटिस्ट भारतीय हैं और 24 हजार से ज्यादा नर्स भारतीय हैं. यहां काम करने वाले भारतीयों को 300 से 1050 डॉलर तक की सैलरी मिलती है. रिसर्च फर्म वर्कयार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कुवैत दुनिया के सबसे सस्ती जगहों में से एक है.
कुवैती दिनार की कीमत भारतीय रुपयों में 275 रुपये है यानी अगर आप हर महीने 100 कुवैती दिनार कमाते हैं तो रुपयों में यह रकम 27500 रुपये बैठती है. कुवैत में एक कुशल कारीगर का औसत वेतन लगभग 1,260 कुवैती दिनार (लगभग 3,47,588.32 रुपये) प्रति माह है. कुवैत में एक भारतीय के लिए न्यूनतम वेतन लगभग 320 कुवैती दिनार (लगभग 88,276.40 रुपये) प्रति माह है.
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