जबलपुर। करीब साल भर से नगर निगम के कचरा कलेक्शन मात्रा में 100 टन तक की कमी आई है, जिस पर जिम्मेदारों ने गंभीरता नहीं बरती है। इसका मुख्य कारण हर घर से कचरा कलेक्शन करने वाले टिपर वाहनों का खराब होना है। वर्तमान में नगर निगम के 200 टिपर वाहनों में से आधे वाहन मेंटेनेंस न होने से खराब हैं। नगर निगम रोजाना लाखो रुपए डोर टू डोर कचरा कलेक्शन पर खर्च कर रहा है, मगर उसे और नागरिकों को हासिल के नाम पर अंगूठा ही आ रहा है। गौरतलब है कि कचरा कलेक्शन के लिए हर घर तक पहुंच करने एस्सेल कंपनी ने 480 टिपर वाहन लगाए हैं। इसमें से 280 टिपर कंपनी के और 200 टिपर नगर निगम के हैं जो उसने कंपनी को किराए पर दिए हुए हैं। खराबी इन्हीं वाहनों में आई हैं जिन्हें एस्सेल कंपनी के द्वारा मेंटेनेंस न करवाए जाने से ये खराब स्थिति में हैं। इन बंद वाहनों के चालक-परिचालकों को कंपनी वाहन खराब होने पर वेतन भी नहीं देती। इस तरह इनका भी नुकसान होता है जबकि ये समय पर अपने काम पर प्रतिदिन पहुंचते हैं। इन वाहनों में छोटे-छोटे फाल्ट हैं मगर इनमें सुधार नहीं करवाया जा रहा है। लोग जब फोन करते हैं कि वाहन नहीं आया तो जवाब मिलता है कि वाहन खराब है जब ठीक हो जाएगा तो आ जाएंगे।
नहीं हो पाई मॉनीटरिंग
मॉनीटरिंग के नाम पर नगर निगम ने हर घर से कचरा उठा या नहीं यह जानने के लिए आरएफआईडी चिप शहर के 2.64 लाख घरों में लगवाने का ठेका दिल्ली की कंपनी को करोडो रुपए में दिया। आज तक कचरे की मॉनीटरिंग करने का सिस्टम इन चिप से नहीं जुड़ पाया है और यह भारी-भरकम राशि खर्च कर दी गई। वही शहर के मानेगांव,डुमना मार्ग, कांचघर, बिलपुरा, करमेता, अमखेरा की कई कॉलोनियां और बस्तियों में प्रतिदिन कचरा कलेक्शन वाहन न पहुंचकर 4-5 दिन में एक बार जाता है। इसके अलावा शहर में भी ऐसे कई इलाके हैं जहां आल्टरनेट डे ही कचरा कलेक्शन होता है।
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