नई दिल्ली: दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर निहंगों द्वारा सरबलोह धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी की वजह से मारे गए लखबीर सिंह (Lakhbir Singh) के परिवार के सदस्यों ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के ओएसडी से मुलाकात की है. इस दौरान उन्होंने उन्हें ज्ञापन देते हुए परिवार के लिए 50 लाख रुपये मुआवजा, नौकरी का आश्वासन और सीबीआई जांच की मांग की है.
बता दें कि 15 अक्टूबर को दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर निहंगों द्वारा पंजाब के तरनतारन के रहने वाले लखबीर सिंह की निर्मम हत्या के बाद बवाल मचा हुआ है. इस बीच बुधवार (27 अक्टूबर) को मृतक की पत्नी, बेटी, पिता और भाई सिंघु बॉर्डर पर मुआवजे की मांग और घटनास्थल पर अरदास करने के लिए पंहुच थे.
जैसे ही ये लोग सिंघु बॉर्डर की तरफ बढ़े दिल्ली पुलिस ने बल प्रयोग किया. इसके बाद पीड़ित परिवार और हिंद मजदूर किसान समिति के कार्यकर्ता नरेला इंडस्ट्रियल इलाके में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे. इसके साथ उन्होंने कहा था कि जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती हम यहीं बैठे रहेंगे. वहीं, लखबीर की बहन ने आरोप लगया कि कोई उन्हें थोखे से तरनतारन से सिंघु बॉर्डर ले गया और वहां पर बेअदबी के आरोप में उनकी हत्या कर दी गई.
इससे पहले गुरुवार सुबह सिंघु बॉर्डर पर लखबीर सिंह की मौत पर प्रदर्शन मामले में अड़े किसानों की दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से बातचीत हुई थी. वहीं, पुलिस ने 7 लोगों के प्रतिनिधिमंडल को गृह मंत्री से मिलने का प्रस्ताव रखा था. इसी बातचीत के तहत लखबीर के परिवार वालों की गृह मंत्री के ओएसडी से मुलाकात हुई है.
जेल में बंद हैं चारों आरोपी
दशहरे के दिन सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में निहंग सरदारों ने बेअदबी का आरोप लगाते हुए पंजाब के तरनतारन के रहने वाले लखबीर सिंह नाम के एक शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी थी. वहीं, इस मामले में गिरफ्तार निहंग नारायण सिंह, भगवत सिंह, गोविंद प्रीत सिंह और सरबजीत सिंह की पुलिस रिमांड़ पूरी होने के बाद एसीजीएम अरविंद कुमार की सोनीपत कोर्ट ने चारों निहंगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. चारों अभी सोनीपत जेल में बंद हैं.
वहीं, 17 अक्टूबर को सोनीपत कोर्ट में पेशी के दौरान नारायण सिंह ने कहा था कि लखबीर की हत्या में वे चार लोग शामिल थे. सरबजीत सिंह ने उसका हाथ काटा था और मैंने तीन वार पैर पर किए थे. इसके बाद भगवंत सिंह और गोविंद प्रीत सिंह ने मिलकर उसे रस्सियों से बांधकर बैरिकेड्स पर लटकाया था. साथ ही नारायण ने कहा कि लखबीर करीब 45 मिनट तक तड़पता रहा था, इसके बाद उसकी मौत हुई थी. उसकी हत्या में हमारे अलावा अन्य कोई शामिल नहीं है. वहीं, नारायण सिंह ने कहा कि मुझे कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि लखबीर सिंह ने सरबलोह ग्रंथ की बेअदबी की थी और उसे 200-400 लोगों ने पवित्र पुस्तक की दो प्रतियां लेकर भागते देखा गया था.
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