– डॉ. रामकिशोर उपाध्याय
आज जबकि पाकिस्तान भारत के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार कर रहा है, चीन के साथ मिलकर भारत पर आक्रमण करने या करवाने का प्रयत्न कर रहा है, पाकिस्तानी क्रिकेटरों-कलाकारों को भारत आमंत्रित नहीं किया जा रहा, ऐसी स्थिति में भारत के प्रमुख विपक्षी दल के सांसद शशि थरूर की वहाँ के साहित्यिक आयोजन में सहभागिता निःसंदेह चौकाने वाली घटना है। आयोजन में अपने देश की छवि घूमिल करने वाले वक्तव्य देना तो और भी असहनीय है। शशि थरूर वक्ता और लेखक होने के साथ-साथ सांसद भी हैं। इसलिए जिस देश के साथ हमारे देश की सेना युद्ध की स्थिति में हो, उसके आयोजनों में सहभागिता से बचना चाहिए। सहभागिता भले ही आभासी माध्यम से की गई हो या प्रत्यक्ष, उसमें दिए गए वक्तव्य का महत्व और प्रभाव समान ही होता है।
इस समय विश्व भर में पाकिस्तान आतंकवाद के अड्डे के रूप में जाना जा रहा है, उसकी अर्थव्यवस्था भी पटरी से उतरती जा रही है। पाकिस्तान की जनता इमरान सरकार के विरुद्ध सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है। पाकिस्तान के लोग, विपक्ष और वहाँ की मीडिया अपनी सरकार की जमकर खिंचाई कर रही है। पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर इमरान खान का मजाक उड़ाया जा रहा है, उनके अपमानजनक कार्टून बनाए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत का एक सांसद जो स्वयं को बुद्धिजीवी मानता हो और जिसके आलेख देश के प्रमुख हिन्दी व अँग्रेजी समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित होते हों, पाकिस्तान सरकार की पीठ थपथपाए और अपने ही देश की निंदा करे तो इसकी आलोचना स्वाभाविक है।
इस समय बिहार में विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश में उप चुनाव चल रहे हैं। शशि थरूर ने भाजपा को बैठे-बिठाए एक मुद्दा दे दिया है। अब इसकी चर्चा चुनावी रैलियों और सभाओं में होने की संभावना है। इससे पहले मणिशंकर अय्यर भी पाकिस्तान से मोदी सरकार को उखाड़-फेंकने का आग्रह कर अपनी पार्टी की फजीहत करा चुके हैं। शशि थरूर ने भारत सरकार के ऊपर मुसलमानों से भेदभाव करने का आरोप तो लगाया किन्तु वे पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार पर कुछ बोल पाने का साहस नहीं जुटा पाए। उन्होंने उत्तर-पूर्व के भारतीयों के साथ भारत में कैसा व्यवहार होता है इसपर भारत के लोगों की आलोचना की किन्तु पाकिस्तान में बलोचों के साथ क्या हो रहा है इसपर कोई टिप्पणी नहीं की। संभव है कि शशि थरूर के वक्तव्य से कांग्रेस पार्टी पल्ला झाड़ ले या भर्त्सना कर दे किन्तु इस प्रकार के वक्तव्य पार्टी को संकट में तो डालते ही हैं। जिन मुसलमानों का वोट पाने के लिए थरूर ने यह वक्तव्य दिया, वे भी पाकिस्तान के मंच पर भारतीय समस्याओं के विमर्श के पक्ष में नहीं हैं।
यह तो सब जानते हैं कि शशि थरूर बहुत जनाधार वाले नेता नहीं हैं इसलिए उनके वक्तव्य से उनकी निजी हानि होने वाली नहीं है किन्तु किसी भी वरिष्ठ नेता के इस प्रकार के अनापेक्षित, असमय और अनुचित मंच से दिए गए वक्तव्य से पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ता है। मध्य प्रदेश के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा प्रचार करते समय मंच से की गई एक टिप्पणी उनके गले की हड्डी बन गई है। भाजपा ने उनकी कथित टिप्पणी के विरोध में प्रदेश भर में धरना-प्रदर्शन का मोर्चा खोल दिया है। विरोध बढ़ता देख राहुल गाँधी को स्वयं उस टिप्पणी की आलोचना करनी पड़ी। यद्यपि कमलनाथ उसे किसी अन्य सन्दर्भ से जोड़कर सफाई दे रहे हैं। हो सकता है थरूर की टिप्पणी के कारण बिहार चुनाव में भी कांग्रेस को विरोध और आलोचना का सामना करना पड़े।
ऐसा नहीं है कि लाहौर फेस्ट में पहली बार किसी भारतीय ने सहभागिता की है। हमारे देश के वामपंथी विचारक, इस्लामिक स्कॉलर्स, पत्रकार और नेता पहले भी इस प्रकार के आयोजनों में जाते रहे हैं किन्तु विडंबना यह है कि अबतक कोई भी भारतीय वहाँ जाकर पकिस्तान के आतंकवाद, वहाँ होने वाले हिन्दुओं-सिक्खों पर अत्याचार, उनकी संपत्ति को बलात छीन लेना, गैर मुस्लिमों की बेटियों का अपहरण कर बन्दूक की नोंक पर निकाह कर लेना और पाक अधिकृत कश्मीर की स्वतंत्रता को लेकर एक भी शब्द नहीं बोल पाते। इसका एक अर्थ यह भी लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान जानबूझकर ऐसे भारतीयों को आमंत्रित करता है जो भारत के विरोध में बोलकर उसके एजेंडे को सहमति प्रदान करें। वर्तमान घटनाक्रम में भी ऐसा ही जान पड़ता है।
शशि थरूर ने पाकिस्तान सरकार की प्रशंसा कर इमरान खान को विश्वमंच पर भारत के विरोध में बोलने के लिए स्वयं का नाम भी उपलब्ध करा दिया है। अब भारत जब भी पाकिस्तान में होने वाले अल्पसंख्यक अत्याचार का मुद्दा उठाएगा तब पाकिस्तान शशि थरूर के वक्तव्य के आधार पर भारत में मुस्लिम भेदभाव की बात करेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved