• img-fluid

    MP में कांग्रेस के सपनों पर पानी फेर सकता है सपा-बसपा के साथ गठबंधन न होना!

  • December 01, 2023

    भोपाल: देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को 2024 के लोकसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस के लिए स्थिति करो या मरो जैसी है. कांग्रेस अकेले चुनावी मैदान में उतरी थी. गुरुवार को आए एक्जिट पोल के मुताबिक, मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है. एग्जिट पोल के कुछ सर्वे के मुताबिक, दोनों दलों के बीच का फासला महज कुछ सीटों का है. एमपी में सपा से दोस्ती और बसपा के साथ गठबंधन न होना कांग्रेस के सपनों पर पानी फेर सकता है.

    एक्सिस माय इंडिया, टुडे चाणक्य, सीएनएक्स और मेट्रिज एजेंसी के एग्जिट पोल के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में बीजेपी एक बार फिर से प्रचंड बहुमत के साथ वापसी करती नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस को सियासी बनवास झेलना पड़ सकता है. वहीं, POLSTRAT, सी-वोटर व ईटीजी के अनुमान से कांग्रेस को बढ़त मिल रही है, लेकिन बीजेपी भी कड़ा मुकाबला दे रही है. तमाम सर्वे में बसपा, सपा सहित अन्य छोटी पार्टियां भले ही 0-5 सीटें मिलने का अनुमान है, लेकिन वोट उन्हें ठीक-ठाक मिलता दिख रहा है. सपा-बसपा के साथ कांग्रेस मिलकर चुनावी मैदान में उतरती तो कमलनाथ के लिए सत्ता पर काबिज होना आसान हो सकता था.

    मध्य प्रदेश चुनाव में सपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातें चल रही थीं, लेकिन सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन सकी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव एमपी में कांग्रेस से पांच से सात सीटें मांग रहे थे, लेकिन कमलनाथ ने एक भी सीट नहीं दी. मीडिया ने कमलनाथ से पूछा कि उन्होंने कहा कि अखिलेश-वखिलेश को छोड़ो. कमलनाथ की यह बात अखिलेश यादव को बुरी लगी. इसके बाद ही सपा ने 71 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और अखिलेश ने जमकर प्रचार किया. 2018 में सपा एक सीट जीतने में कामयाब रही, जबकि 2003 में सपा को सात सीटें मध्य प्रदेश में मिली थीं.


    वहीं, मध्य प्रदेश की सियासत में बसपा का अपना सियासी आधार है. बसपा ने गोंडवाना पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. 178 सीट पर बसपा ने प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि 52 सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी चुनाव लड़ी है. पिछले चुनाव में बसपा दो विधायकों के साथ 5 फीसदी वोट पाने में सफल रही थी. बसपा ने इस बार कांग्रेस और बीजेपी के तमाम बागी नेताओं को चुनावी मैदान में उतारकर दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया. एग्जिट पोल के सर्वे में बसपा को 3 से 4 सीटें मिलने का अनुमान है.

    एक्सिस माय इंडिया से लेकर तमाम दूसरी सर्वे एजेंसियों ने भी बसपा को 6 फीसदी से लेकर 8 फीसदी तक वोट मिलने और 2 से 5 सीटें मिलने की संभावना जताई है. वोट शेयर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच 6 फीसदी का अंतर दिख रहा है. कांग्रेस को 41% और बीजेपी को 47% वोट मिल सकते हैं. बसपा के छह फीसदी और अन्य को 6 फीसदी वोट मिल सकता है. अगर कांग्रेस और बसपा मिलकर चुनाव लड़ते तो कांग्रेस के वोट और सीटमें बड़ा इजाफा हो सकता था. कांग्रेस और बीजेपी दोनों के बराबर 47-47 फीसदी वोट हो सकते थे. ऐसे में कांग्रेस टक्कर ही नहीं बल्कि सत्ता में वापसी कर सकती थी.

    2018 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी. ऐसे में कांग्रेस ने बसपा और सपा विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई थी. पिछले चुनाव में सपा ने एक सीट के साथ 1.30 फीसदी वोट हासिल किए थे, इतना ही नहीं बसपा-सपा ने पिछले चुनाव में 20 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया था, जिसके चलते ही कांग्रेस बहुमत से दूर रह गई थी. इस बार के चुनाव में सपा और बसपा को मिलने वाले वोट अगर कांग्रेस में जुड़ जाते हैं तो फिर बीजेपी से डेढ़-दो फीसदी ज्यादा हो सकते हैं.

    सी वोटर के एक्जिट पोल में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है, जबकि ईटीजी के सर्वे में कांग्रेस की सत्ता में वापसी दिखा रहे हैं. टुडेज चाणक्य, एक्सिस माय इंडिया, सीएनएक्स और मेट्रिज एजेंसियां बीजेपी को सत्ता में एक बार फिर वापसी कराते दिखा रही हैं. हालांकि सभी सर्वे में बसपा और अन्य को 3 से 8 सीटें मिलती दिख रही हैं, तो बसपा को छह फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.

    बता दें कि मध्य प्रदेश में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी थी. कांग्रेस-सपा के बीच विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन की बातें चल रही थीं, लेकिन सीट शेयरिंग में बात नहीं बन सकी. सपा के विपक्षी गठबंधन INDIA में होने के चलते बसपा ने कांग्रेस से दूरी बना ली थी और मायावती गोंडवाना पार्टी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरीं.

    मध्य प्रदेश के चंबल, बुंदेलखंड और यूपी से सटे जिलों में बसपा का अच्छा खासा प्रभाव है. बसपा ने 178 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. ऐसे में हर सीट पर उन्हें कुछ न कुछ वोट मिले हैं, जबकि अगर दोनों के बीच गठबंधन होते तो ये वोट बसपा के बजाय कांग्रेस को मिलते. ऐसे ही अगर अखिलेश यादव के साथ गठबंधन होता तो भी सपा का वोट कांग्रेस को मिलता. इस तरह कांग्रेस कांटे की टक्कर नहीं, बल्कि सत्ता में स्पष्ट बहुमत के साथ वापसी करती नजर आती, लेकिन बसपा और सपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा. ऐसे में कमलनाथ के सत्ता में वापसी की उम्मीदों पर ग्रहण लग सकता है?

    Share:

    इजरायल पर हुए हमास के हमले को लेकर हुआ बड़ा खुलासा, एक साल पहले ही मिल गया था...

    Fri Dec 1 , 2023
    नई दिल्ली: इजरायल (Israel) पर 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले (Hamas attacks) को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (American newspaper New York Times) ने दावा किया है कि हमास के हमले का पूरा ब्लूप्रिंट (complete blueprint) इजरायल को एक साल पहले ही मिल गया था. ये सबकुछ दस्तावेजों, […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शनिवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved