लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर सकते हैं भारतीय पक्ष का नेतृत्व
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में समयबद्ध तरीके से तनाव घटाने और सैनिकों के पीछे हटने के लिए तौर-तरीका तय करने के लिए भारतीय और चीनी सेना के वरिष्ठ कमांडरों के चौथे दौर की वार्ता आज होगी। सरकारी सूत्रों ने इस खबर की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय हिस्से में चुशुल में यह बैठक सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे से शुरू होगी। वार्ता में पैंगोग सो और देपसांग में पीछे हटने की प्रक्रिया के दूसरे दौर को शुरू करने के साथ ही समयबद्ध तरीके से पिछले बेस से सैनिकों और अन्य सैन्य उपकरणों को हटाए जाने पर फोकस रहेगा।
बताया जा रहा है कि इस वार्ता में भारतीय पक्ष पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में पांच मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर जोर देगा। दोनों पक्षों की तरफ से ऊंचाई वाले क्षेत्र में अमन-चैन बहाल करने के खाके को भी अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह के भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की संभावना है। चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन कर सकते हैं।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) गोग्रा, हॉट स्प्रिंग्स और गलवान घाटी से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर चुकी है और पिछले एक सप्ताह में उसने पैंगोग सो इलाके में फिंगर फोर के पास सैनिकों की संख्या घटाई है। भारत जोर दे रहा है कि चीन फिंगर फोर और फिंगर एट के बीच के इलाकों से सुरक्षा बलों को हटाए। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच करीब दो घंटे की टेलीफोन वार्ता के बाद सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया पिछले सोमवार को शुरू हुई थी। वहीं, शुक्रवार को भारत और चीन के बीच राजनयिक स्तर की वार्ता हुई। इस दौरान दोनों पक्षों ने अमन-चैन बहाल करने के लिए पूर्वी लद्दाख में समयबद्ध तरीके से सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ने का फैसला किया।
बैठक में फैसला किया गया कि दोनों सेनाओं के वरिष्ठ कमांडर पूरी तरह पीछे हटने और तनाव घटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए जल्द चर्चा करेंगे। दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर तीन दौर की वार्ता हो चुकी है और अंतिम बैठक 30 जून को हुई थी। इस बैठक में दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने के लिए प्राथमिकता के साथ जल्द, चरणबद्ध और क्रमिक तरीके से तनाव घटाने पर सहमत हुए थे। लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहली वार्ता छह जून को हुई थी। इस दौरान दोनों पक्ष गलवान घाटी से शुरूआत करते हुए टकराव के सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने पर राजी हुए थे। दूसरे दौरे की वार्ता 22 जून को हुई थी। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पांच मई से ही पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर तनाव गहरा गया। इसके बाद गलवान घाटी में भारत के 20 सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद यह तनाव और बढ़ गया। चीनी सेना को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने इस बारे में कुछ नहीं बताया है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 सैनिक हताहत हुए थे।
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