पेइचिंग। पूर्वी लद्दाख में LAC के पास जारी सीमा विवाद चीन के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी खत्म होने का नाम ले रहा है। इस बीच चीनी सेना PLA ने मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए भारतीय सीमा से सटकर जोरदार युद्धाभ्यास किया है। चीन के सरकारी भोंपू ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि लाइव फायर एक्सरसाइज में 90 फीसदी नए हथियारों का इस्तेमाल किया गया।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि यह अभ्यास 4700 मीटर की ऊंचाई पर पीएलए के तिब्बत थिएटर कमांड की ओर से किया गया। ग्लोबल टाइम्स ने इस अभ्यास का एक वीडियो भी जारी किया है। इस विडियो में नजर आ रहा है कि चीनी सेना अंधेरे में हमला बोलती है और ड्रोन विमानों की मदद से हमला बोलती है। विडियो में नजर आ रहे हैं कि चीनी सेना की रॉकेट फोर्स एक साथ जोरदार हमले करके एक पूरे पहाड़ी इलाके को तबाह कर देती है।
WATCH: The PLA Tibet Theater Command recently held live-fire exercises in the Himalayas at an elevation of 4700m. 90% of the weapons and equipment involved had been newly commissioned. pic.twitter.com/Mud3tKmqZl
— Global Times (@globaltimesnews) October 18, 2020
कंधे पर रखकर दागे जाने वाली मिसाइलों का भी प्रदर्शन
यही नहीं चीनी सेना ने गाइडेड मिसाइल के हमले का भी अभ्यास किया। अभ्यास के दौरान चीनी सेना की तोपों ने भी जमकर बम बरसाए। पीएलए के सैनिकों ने कंधे पर रखकर दागे जाने वाली मिसाइलों का भी प्रदर्शन किया। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि इस अभ्यास में शामिल 90 फीसदी हथियार और उपकरण एकदम नए हैं। माना जा रहा है कि चीनी अखबार ने भारत-चीन वार्ता के दौरान दबाव बनाने के लिए यह वीडियो जारी किया है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता के बाद भी अभी तक लद्दाख गतिरोध का कोई हल नहीं निकला है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि सीमा पर बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती पूर्व में हुए करारों का उलट है। ऐसे में जब दो देशों के सैनिक तनाव वाले इलाकों में मौजूद रहते हैं तो वही होता है जो 15 जून को हुआ। जयशंकर ने कहा, यह बर्ताव न सिर्फ बातचीत को प्रभावित करता है बल्कि 30 वर्ष के संबंधों को भी खराब करता है।
जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के रिश्तों के मूल में सीमा पर शांति और स्थिरता कायम रखना था, लेकिन फिलहाल सीमा पर जो तनाव है उसका असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ना तय है। इससे पहले विदेश मंत्री ने शुक्रवार को एशिया सोसायटी के एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा, ‘1993 से अब तक दोनों देशों के बीच कई करार हुए जिन्होंने शांति और स्थिरता कायम करने का ढांचा तैयार किया। इन करारों में सीमा प्रबंधन से सैनिकों के बर्ताव तक सब बातों को शामिल किया गया, लेकिन जो इस साल हुआ उसने सभी करारों को खोखला साबित कर दिया।’
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