नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में 20 महीने से भी अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध (military standoff) के बीच चीन ने लद्दाख (Ladakh) में भारतीय क्षेत्र के सामने लगभग 60,000 सैनिकों को तैनात किया है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (line of actual control) पर अपने सेना की तेजी से आवाजाही में मदद करने के लिए अपने बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा है।
वैसे गर्मियों के मौसम में चीनी सैनिकों की संख्या काफी बढ़ गई थी, क्योंकि वे गर्मियों में प्रशिक्षण के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों को सीमा पर लाए थे। वे अब अपने पिछले स्थानों पर वापस चले गए हैं। हालांकि, वे अभी भी लद्दाख के विपरीत क्षेत्रों में लगभग 60,000 सैनिकों को बनाए हुए हैं।
‘भारत ने भी बेहद मजबूत कदम उठाए हैं’
चीनी पक्ष से खतरे की संभावना बनी हुई है क्योंकि वे एलएसी के पार बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र के सामने और पैंगोंग झील क्षेत्र के पास नई सड़कें बनाई जा रही हैं। सूत्रों ने कहा कि भारतीय पक्ष ने भी चीनी पक्ष की ओर से किसी भी संभावित दुस्साहस को सुनिश्चित करने के लिए बहुत मजबूत कदम उठाए हैं।
‘भारत भी कर रहा है बुनियादी ढांचे का निर्माण’
चीन की किसी भी उकसावे वाली कार्रवाई का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने राष्ट्रीय राइफल्स के आतंकवाद निरोधी दस्ते को पूर्वी मोर्चे के लद्दाख थिएटर में तैनात किया है. इसके साथ ही भारत की ओर से भी बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी है. सूत्रों ने कहा कि किसी भी तनाव वाले बिंदु पर जरूरत के वक्त सैनिकों को जमा करने के लिए भारतीय सेना सभी पर्वतीय दर्रों को खुला रख रही है।
‘सर्दियों में तैनाती से परेशान हैं चीनी सैनिक’
सूत्रों ने कहा कि भारतीय पक्ष केवल एक या दो स्थानों पर चीनी सैनिकों के साथ नजर रखने की स्थिति में है, क्योंकि अधिकांश स्थानों पर दोनों सेनाएं बफर जोन द्वारा अलग होती हैं. दोनों पक्ष एक-दूसरे के सैनिकों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए बफर जोन में बड़ी संख्या में निगरानी ड्रोन भी तैनात कर रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि चीनियों को सर्दियों की तैनाती बहुत परेशान कर रही है क्योंकि वे बहुत तेजी से अग्रिम मोर्चों पर सैनिकों की अदला-बदली कर रहे हैं।
चीन की एकतरफा और उकसावे वाली कार्रवाई से निपटने के लिए तैयारी पूरी
अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों में ज्यादा सर्दियों में चीनी सैनिकों की पहली तैनाती के दौरान, वे लगभग हर रोज अपने जवानों की अदला-बदली करते थे. ऐसा इसलिए था क्योंकि पिछले साल अप्रैल-मई में शुरू हुई चीनी आक्रामकता के बाद वे ठंड से संबंधित चोटों से बहुत तकलीफ में थे. रक्षा मंत्रालय ने अपने साल की अंतिम समीक्षा में कहा था कि एलएसी पर एक से अधिक क्षेत्रों में, अपनी सेना के जरिए यथास्थिति को बदलने के लिए चीनियों द्वारा एकतरफा और उत्तेजक कार्रवाइयों का पर्याप्त उपाय के रूप में जवाब दिया गया है।
पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर दोनों ओर के सैनिक तैनात
इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत में लगी हुई हैं. निरंतर संयुक्त प्रयासों के बाद, कई स्थानों पर से सेनाएं पीछे हटा ली गई हैं, लेकिन जिन स्थानों को लेकर विवाद जारी है उन क्षेत्रों में दोनों ओर के सैनिकों की संख्या जस-की-तस बनी हुई है या पर्याप्त रूप से उनमें बढ़ोतरी की गई है. क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने और पीएलए बलों व सैन्य बुनियादी ढांचे को पूरा करने के लिए सेना के इजाफे को ध्यान में रखते हुए खतरे के आकलन और आंतरिक विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप बलों को लगातार संगठित किया जा रहा है।
भारत ने बिछाया पुलों, सड़कों, रेल लाइनों और सुरंगों का जाल
भारत के दावों की शुचिता सुनिश्चित करते हुए सैनिकों का चीनी जवानों के साथ एक दृढ़ और शांतिपूर्ण तरीके से निपटना जारी है. उत्तरी सीमाओं के साथ बुनियादी ढांचे का उन्नयन और विकास समग्र और व्यापक तरीके से किया जा रहा है, जिसमें सड़कें, सभी मौसम में संपर्क के लिए सुरंगें, चार रणनीतिक रेलवे लाइनें, ब्रह्मपुत्र पर अतिरिक्त पुल, बेहद अहम भारत-चीन सीमा की सड़कों पर पुलों का उन्नयन और ईंधन व गोला-बारूद का भंडारण शामिल है. दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे की पहचान करने के लिए भी बड़े प्रयास किए गए हैं।
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