नई दिल्ली । रेलवे ने कहा कि कोरोना और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासियों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए शुरू की गईं श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों की मांग अब पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। अंतिम श्रमिक स्पेशल 9 जुलाई को चलाई गई थी।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) विनोद कुमार यादव कहा कि एक मई से अब तक कुल 4615 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 63.1 लाख प्रवासी अपने घरों तक पहुंच चुके हैं।
उन्होंने कहा कि मई माह में सबसे अधिक 4109 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं। इसके बाद जून में 493 और जुलाई में मात्र 13 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं। उन्होंने कहा कि अंतिम श्रमिक स्पेशल ट्रेन 9 जुलाई को चली। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों की मांगों को पूरी तरह से पूरा किया गया। अब कोई प्रवासी नहीं है जो वापस अपने गृह राज्यों को जाना चाहते हैं।
कोरोना मरीजों के लिए रेलवे द्वारा तैयार कोविड कोच के संबंध में उन्होंने कहा कि रेलवे अब तक 5231 कोचों को कोविड-19 केयर सेंटर (आइसोलेशन कोच) में बदल चुका है। रेलवे अब तक 12,472 बेड क्षमता वाले 813 कोच तीन राज्यों में तैनात कर चुके हैं। इनमें से दिल्ली में 503, उत्तर प्रदेश में 270 और बिहार में 40 कोच मुहैया करा चुका है।
उल्लेखनीय है कि रेल मंत्रालय ने कोरोना (कोविड-19) के मद्देनजर लॉकडाउन के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य लोगों को उनके राज्यों तक पहुंचाने के लिए एक मई से ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन चलाना शुरू किया था। इन विशेष ट्रेनों में केवल राज्य सरकारों द्वारा नामित और पंजीकृत लोगों को ही यात्रा की अनुमति थी। ट्रेन में सफर करने के लिए यात्रियों को किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं करना होता था। यह भुगतान केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा था।
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