इंदौर। केन्द्र सरकार द्वारा बीते कुछ समय में श्रम कानूनों में कई बदलाव किए गए हैं। इनमें से कई अव्यावहारिक हैं, जिसके चलते श्रमिकों को ही न्याय नहीं मिल सकेगा। नए कानून में लेबर कोर्ट को खत्म कर इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल बनाए जाने का प्रस्ताव है। इसके चलते जितने भी प्रकरण लेबर कोर्ट में विचाराधीन हैं, वे सभी इस नए ट्रिब्यूनल में शिफ्ट हो जाएंगे। नए कानूनों की विसंगतियों को लेकर एक जागरूकता बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें वरिष्ठ अभिभाषक और श्रम कानूनों के विशेषज्ञ ने उद्योगपतियों को विसंगतियों की जानकारी दी और उसमें क्या-क्या अव्यावहारिकता और भविष्य में कठिनाइयां आएंगी इससे भी अवगत कराया। एक तरफ कृषि कानूनों का विरोध जारी है, वहीं दूसरी तरफ श्रम कानूनों में भी व्यापक बदलाव किए जा रहे हैं, जिसके चलते आने वाले समय में श्रमिकों से जुड़े संगठन भी लगभग समाप्त हो जाएंगे और उन्हें न्याय दिलवाने की प्रक्रिया भी सीमित कर दी गई है। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश ने श्रम कानूनों के संबंध में एक जागरूकता बैठक का आयोजन किया, जिसमें चारों श्रम संहिताओं के संबंध में उद्योगपतियों को जानकारी दी गई। इसमें इंदौर के वरिष्ठ अभिभाषक और श्रम कानूनों के जानकार गिरीश पटवर्धन ने उद्योगपतियों को श्रम कानूनों की विसंगतियों से अवगत करवाया और कहा कि ये अव्यावहारिक है, इससे उद्योगों का कोई भला नहीं होगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved