जब सूर्य भगवान अपनी राशि बदलते हैं यह संक्रांति तब आती है और इस वर्ष कुंभ संक्रांति 12 फरवरी को पड़ रही है। हर माह सूर्य अपनी राशि बदलते हैं। सभी राशियों में भ्रमण करने का चक्र सूर्य एक वर्ष में पूरा करते हैं। इस बार सूर्य का कुंभ राशि में गोचर 12 फरवरी को होने जा रहा है। ऐसे में इस दिन ही कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा है। मान्यता है कि इस दिन हिंदू धर्म के सभी देवी देवता पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। ऐसे में इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना बेहद विशेष माना जाता है। तो आइए जानते हैं कुंभ संक्रांति का मुहूर्त और महत्व।(
कुंभ संक्रांति का शुभ मुहूर्त:
कुम्भ संक्रान्ति का पुण्य काल मुहूर्त
12 फरवरी, शुक्रवार को
कुम्भ संक्रान्ति का पुण्य काल- दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 9 मिनट तक
अवधि- 05 घंटे 34 मिनट्स
कुम्भ संक्रान्ति का महा पुण्य काल- शाम 4 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 9 मिनट तक
अवधि- 01 घंटा 51 मिनट
कुम्भ संक्रान्ति का क्षण- रात 9 बजकर 27 मिनट पर
कुंभ संक्रांति का महत्व:
हिन्दू धर्म में संक्रांति का महत्व उतना ही है जितना पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी तिथि का है। इस दिन स्नान का महत्व अत्याधिक होता है। ग्रंथों के अनुसार, संक्रांति पर्व पर अगर स्नान किया जाए तो व्यक्ति को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। देवी पुराण के अनुसार, अगर संक्रांति के दिन कोई स्नान नहीं करता है तो वो कईं जन्मों तक दरिद्र रहता है। इस दिन दान-पुण्य का महत्व भी बहुत ज्यादा होता है।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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