कुछ परिवार मल्टियों में फ्लैट लेने को राजी हुए तो कुछ की नहीं बन पा रही सहमति
इन्दौर। कुलकर्णी भट्टा पुल के काम में शुरू से लेकर आखिरी तक विवादों का अंत ही नहीं हो पा रहा है। पहले पुल का काम शुरू करने के लिए पांच से सात साल मशक्कत चलती रही और जैसे-तैसे कुछ हिस्सों में काम हुआ तो अब मकानों की बाधाओं के कारण मामला उलझन में पड़ गया है। कुछ परिवारों को फ्लैट आवंटित कर दिए गए हैं, जबकि कुछ परिवारों की सहमति नहीं बनने के कारण मामला अटका हुआ है। इसी के चलते कई जगह काम भी बंद पड़ा है।
कुलकर्णी भट्टा पुल के लिए निगम ने कई बार काम तेजी से शुरू कराने की कोशिश की, लेकिन स्थितियां ऐसी बनीं कि काम समयावधि तो दूर की बात महीनों बाद तक पूरा नहीं हो पा रहा है। इसी के चलते अब तक कुछ हिस्सों में ही पिलर और स्लैब डालने का काम हो पाया है। पिछले दिनों दो झोन के अंतर्गत आने वाले कुलकर्णी भट्टा क्षेत्र के रहवासियों के लिए निगम ने ड्रॉ निकालकर उन्हें फ्लैट आवंटित किए थे। इनमें करीब 40-50 परिवारों को फ्लैट आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर दी गई थी, जबकि बाकी करीब 60 से 70 लोगों को फ्लैट आवंटित किए जाने हैं। उनके मकानों के हिस्से पुल की सर्विस रोड और अन्य कार्यों में बाधक हैं। पिछले दिनों दो बार रहवासियों को समझाइश देने के लिए निगम के अफसरों की फौज पहुंची थी और नपती को लेकर विवाद के चलते दोबारा नपती भी गई थी, मगर उसके बावजूद रहवासियों को वहां से शिफ्ट कराने पर सहमति नहीं बन पाई। अधिकारियों का कहना है कि वहां कुछ परिवार शिफ्ट होने को तैयार हैं, लेकिन अधिकांश परिवारों के सहमत नहीं होने के कारण मामला उलझन में पड़ा हुआ है। इसी के चलते पुल के काम में देरी हो रही है। आने वाले दिनों में रहवासियों से निगम के आला अधिकारी चर्चा कर उनकी परेशानियों को समझेंगे और उसके बाद उक्त निराकरण के साथ शिफ्टिंग का कार्य किया जाएगा।
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