नई दिल्ली: पिछले एक साल से घरेलू हिंसा और उसकी वजह से उठ रहे सवालों से घिरी मणिपुर सरकार के सामने अब नई चुनौती आ गई है. दरअसल, राज्य के एक आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने शनिवार (17 फरवरी) को पहाड़ी जिले चुराचांदपुर में सभी सरकारी कार्यालयों को बंद करने की बात कही. इसके लिए संगठन ने कर्मचारियों धमकी देते हुए कहा है कि वह सरकारी कार्यालय में न जाएं.
संगठन के इस कदम के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है. सरकार ने इसे अवैध बताया है और सरकारी कर्मचारियों से ऐसा न करने को कहा है. इसके अलावा सगंठन पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है. राज्य के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा है कि अगर किसी कर्मचारी ने गलत तरीके से छुट्टियां लीं तो उसका वेतन काटा जाएगा और विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है.
ये है विवाद की वजह
दरअसल, 14 फरवरी को मणिपुर पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल सियामलालपॉल का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो में वह हथियारबंद बदमाशों के साथ दिखाई दिए थे. हेड कॉन्स्टेबल ने बदमाशों के साथ बंकर में सेल्फी भी ली थी. आरोप है कि सियमलालपॉल उन लोगों को ट्रेनिंग दे रहे थे. मामला सामने आने के बाद SP ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था. इसके बाद से कुकी-जो सिविल सोसायटी ग्रुप इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने प्रदर्शन शुरू कर दिया. देखते ही देखते चुराचांदपुर में हिंसा फैल गई.
कॉन्स्टेबल को फिर से बहाल करने की है मांग
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि हेड कॉन्स्टेबल को गलत तरीके से निलंबित किया गया है. उन्होंने सियामलालपॉल की बहाली की मांग की है. इसके अलावा प्रदर्शनकारी यानी ITLF ने ने हिंसा के लिए चुराचांदपुर SP को जिम्मेदार ठहराया है. संगठन ने सियामलालपॉल को फिर से बहाल करने के लिए 24 घंटे का समय दिय़ा था. डेडलाइन खत्म होने के बाद ही इन्होंने सरकारी ऑफिस बंद कराने का ऐलान किया है. आईटीएलएफ ने चुराचांदपुर पुलिस प्रमुख शिवानंद सुर्वे और उपायुक्त एस. धारुन कुमार को हटाने की मांग की थी.
मणिपुर पुलिस पर लगाया ये आरोप
आईटीएलएफ ने आरोप लगाया है कि पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें मणिपुर पुलिस के जवान सशस्त्र समूहों के साथ लड़ते और कुकी-जो इलाकों पर हमला करते दिख रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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