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Krishna Janmashtami 2023: 6 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए पूजाविधि और व्रत का महत्व

September 04, 2023

नई दिल्‍ली (New Dehli)। हर साल भाद्रपद (Bhadrapada) मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी (Eighth) तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। द्वापर में श्रीकृष्ण परम पुरुषोत्तम भगवान (Purushottam Bhagwan) का जन्म भाद्रपद की अष्ठमी तिथि (रोहिणी नक्षत्र और चन्द्रमा वृषभ राशि में ) को मध्यरात्रि में हुआ। उनके जन्म लेते ही दिशाएं स्वच्छ व प्रसन्न एवं समस्त पृथ्वी मंगलमय हो गई थी। विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के प्रकट होते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया। कृष्ण के प्राकट्य से स्वर्ग में देवताओं की दुन्दुभियां अपने आप बज उठीं तथा सिद्ध और चारण भगवान के मंगलमय गुणों की स्तुति करने लगे।


जन्माष्टमी व्रत का महत्व
शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को एक हजार एकादशी व्रत के समान माना गया है। जाप का अनन्त गुना फल देने वाला जन्माष्टमी के दिन ध्यान, जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। इसलिए जन्माष्टमी की रात में जागरण करके भगवान के भजन कीर्तन करने चाहिए। भविष्य पुराण में इस व्रत के सन्दर्भ में उल्लेख है कि जिस घर में यह देवकी-व्रत किया जाता है वहां अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य तथा कलह नहीं होती। जो एक बार भी इस व्रत को करता है उसे श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वह प्राणी संसार के सभी सुखों को भोगकर विष्णुलोक में निवास करता है।

 

जन्माष्टमी पूजन विधि
हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण की पूजा सभी संकटों से निकालकर सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान देने वाली मानी गई है। जन्माष्ठमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें। अगर नार्थ-ईस्ट में भगवान कृष्ण को लगाया जाए तो आप अपने जीवन में धर्मयुद्ध में खड़े हैं,कर्मक्षेत्र में खड़े हैं तो वहां आपकी जीत सुनश्चित है और आपकी जितनी भी परेशानियां हैं उन्हें कान्हा दूर कर देते हैं। माता देवकी और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। पूजन में देवकी,वासुदेव,बलदेव,नन्द, यशोदा आदि देवताओं के नाम जपें। रात्रि में 12 बजे के बाद श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं।

जन्माष्टमी पर कान्हा को पीले चंदन या फिर केसर का तिलक जरूर लगाएं, साथ ही साथ उन्हें मोर के मुकुट और बांसुरी जरूर अर्पित करें। लड्डूगोपाल को पंचामृत से अभिषेक कराकर भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें एवं झूला झुलाएं। तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं तत्पश्चात आरती करके प्रसाद को वितरित करें।

कृष्ण जन्माष्टमी कब है?
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर 2023 शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि की जाती है, इसलिए इस साल भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 6 सितंबर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा।

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