भोपाल। कोविड का असर तो कम हो गया लेकिन इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिल रहे हैं। वायरस ने लोगों के नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव डाला है। जिससे लोगों में चक्कर आना, सुनाई कम देना, कानों में आवाज आने की शिकायत तेजी से बढ़ी है। लोग इस परेशानी को लेकर ईएनटी विशेषज्ञ से लेकर न्यूरोलोजिस्ट के पास पहुंच रहे हैं। लेकिन दवाओं से लाभ नहीं मिल पा रहा है। असल में यह परेशानी कान के अंदर होने वाले तरल पदार्थ में हुए बदलाव के कारण बताया जा रहा है। जो शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मददगार होता है। बैंगलुरु के न्यूरो-आटोलोजिस्ट डा श्रीनिवास का कहना है कि कान और दिमाग के बीच का सूचना तंत्र में जब गड़बड़ी हो जाती है तो दिमाग को सही जानकारी नहीं मिल पाती जिसके कारण व्यक्ति को चक्कर आने संबंधी परेशानी आ जाती है जिसे वर्टिगो कहा जाता है। कोविड के बाद यह समस्या तकरीबन 15 फीसद लोगों में देखी गई है।
जांच के बाद थैरपी से समस्या का निदान
डॉ. एसआर अग्रवाल का कहना है कि इस समस्या से निजात पाने के लिए वर्टिगो मशीन से जांच की जाती है। जांच करने से पहले मरीज को होने वाली परेशानी जानने के बाद उसकी जांच की जाती है। जांच करने में करीब 30 से 40 मिनट का वक्त लगता है। जांच में यदि यह तीन कारण पता चलते हैं तो मरीज की मशीन की मदद से थैरपी दी जाती है जिससे मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है। इस तरह की समस्याओं में दवाओं की जरूरत नहीं होती।
इनमें परिर्वतन पर होती परेशानी
डा. श्रीनिवास बताते हैं कि कान के अंदर आटोलिथ अपने स्थान से हिल जाए या इंडोलिम्स पर दबाव बढ़े अथवा इंडोलिम्स में कोई कैमिकल बदलाव हो तो मरीज को चक्कर आना, सुनाई कम देना या कान में सीटी बजने की आवाज आने की शिकायत होती है।
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