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    कोलकाता : आरजी कर मेडिकल कॉलेज में खौफ, हॉस्टल छोड़ गईं 100 से अधिक लेडी डॉक्टर

  • August 23, 2024


    कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) और अस्पताल में काम करने वाली महिला डॉक्टर (lady doctors) और नर्स (Nurse) दहशत (Panic) में हैं। ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर और हॉस्पिटल में भीड़ के हमले के बाद मेडिकल कॉलेज में ट्रेनिंग कर रहीं जूनियर डॉक्टरों ने हॉस्टल छोड़ दिया है। हालत यह है कि हॉस्टल में 9 अगस्त से पहले 160 डॉक्टर रहती थीं, अब यहां सिर्फ 17 बची हैं। रेप-मर्डर का शिकार बनी दोस्त को इंसाफ दिलाने के लिए कुछ डॉक्टर हॉस्टल में रह रही हैं। उनका कहना है कि यह लड़ाई जारी रहना चाहिए ताकि भविष्य में किसी छात्रा के साथ ऐसा न हो। हालांकि उन्हें भी उनके पैरेंट्स वापस बुला रहे हैं। इसके अलावा आरजी कर मेडिकल कॉलेज का नर्सिंग हॉस्टल में रहने वाली नर्स डरी सहमी हैं, क्योंकि अधिकतर स्टाफ के पास बाहर रहने का विकल्प नहीं है। अब सीआईएसएफ के कर्मचारियों के आने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली है।


    ट्रेनी डॉक्टर की हत्या के बाद से हॉस्टल होने लगे खाली
    आरजी कर मेडिकल कॉलेज के लगभग सभी हॉस्टल खाली पड़े हैं। 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के बाद से वहां पढ़ने वाले छात्रों का पलायन शुरु हो गया था। कुछ स्टूडेंट एक-दो दिन बाद हिम्मत दिखाते हुए वापस लौटे, मगर 14 अगस्त की रात हॉस्पिटल में उपद्रवियों के हमले ने उन्हें भयभीत कर दिया। हॉस्टल में रहने वाली अधिकतर छात्राएं चली गईं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टरों और स्टूडेंट के पांच हॉस्टल हैं, जो अब खाली पड़े हैं। एमबीबीएस की एक स्टूडेंट ने बताया कि 14 अगस्त को ‘रीक्लेम द नाइट’ के दौरान हजारों की भीड़ ने हमला कर दिया था। वहां धरने पर बैठी महिला डॉक्टर और नर्स जान बचाकर हॉस्टल में शरण ली। हंगामा और तोड़फोड़ से सहमी छात्राएं पूरी रात नहीं सो पाईं। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, जूनियर डॉक्टरों की वकील अपराजिता सिंह ने इस हालात के बारे में कोर्ट को जानकारी दी। उन्होंने बताया था कि 14 अगस्त की तोड़फोड़ के बाद करीब 700 रेजिडेंट डॉक्टरों में से सिर्फ 30-40 महिला डॉक्टर और 60-70 पुरुष डॉक्टर ही कैंपस में बचे थे।

    हॉस्टल में रहने वाली नर्स स्टाफ अभी भी भयभीत
    हंगामे के बाद भी मेडिकल कॉलेज की नर्सिंग स्टाफ हॉस्पिटल में मौजूद हैं। हड़ताल के बावजूद वह एडमिट किए गए मरीजों की देखभाल में जुटी हैं। नर्सों का कहना है कि 14 अगस्त की रात हुए हमले के बाद कोई भी स्टाफ बिना सुरक्षा ड्यूटी के लिए तैयार नहीं है। वह भी हॉस्टल छोड़कर जाना चाहती हैं मगर उनके पास कोई विकल्प नहीं है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज परिसर में दोनों नर्सिंग हॉस्टल भरे पड़े हैं। रेप-मर्डर जैसी भयावह घटना के बाद भी वह रात में काम कर रही हैं। एक नर्स ने बताया कि जब वह वॉर्ड में खुद को अकेला पाती हैं तो डर लगता है। डर का सबसे बड़ा कारण यह है कि अभी तक इस घटना में एक आरोपी को पकड़ा गया है, मगर लगता है कि वारदात में कई लोग शामिल हैं। तब लगता है कि कोई हत्यारा या बलात्कारी आसपास मौजूद है। उसने बताया कि हंगामे के बाद से महिला डॉक्टरों के बदले पुरुष डॉक्टर ड्यूटी कर रहे हैं, मगर यहां मेल नर्स नहीं है। वह चाहकर भी अपने पसंद के हिसाब से ड्यूटी नहीं कर सकती है।

    सीआईएसएफ के जवानों ने संभाली सुरक्षा
    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब मेडिकल कॉलेज में 150 सीआईएसएफ के जवानों ने सुरक्षा की कमान संभाल ली है । ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अब जूनियर मेडिकल स्टूडेंट फिर से हॉस्टल फिर गुलजार होगा। हालांकि प्रदर्शन करने वाले छात्रों का कहना है कि सिर्फ सुरक्षा बलों के आने से हालात नहीं बदलेंगे। जब तक सीबीआई सभी दोषियों को गिरफ्तार नहीं करती, तब तक हम पूरी तरह से सुरक्षित कैसे महसूस करेंगे?

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