कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल (Governor) सीवी आनंद बोस (CV Anand Bose) ने सोमवार को कहा कि बंगाल महिलाओं (women) के लिए सुरक्षित जगह नहीं है। बंगाल ने अपनी महिलाओं को नाकाम कर दिया है। समाज नहीं, बल्कि मौजूदा सरकार ने अपनी महिलाओं को नाकाम किया है। उन्होंने कहा कि बंगाल को उसके प्राचीन गौरव की स्थिति में वापस लाया जाना चाहिए, जहां महिलाओं को समाज में सम्मानजक स्थान मिलता था। अब महिलाएं गुंडों से डरती हैं। यह स्थिति सरकार की असंवेदनशीलता के कारण बनी है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मामले पर राज्यपाल ने कहा, मैं (पीड़िता की) मां की भावनाओं का सम्मान करता हूं। कानून अपनी प्रक्रिया का पालन करेगा।
राज्यपाल ने रक्षाबंधन के मौके राजभवन में महिला नेताओं और डॉक्टरों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। यह नहीं चल सकता। आज हमें अपनी बेटियों-बहनों की रक्षा करने की शपथ लेनी होगी। समाज ऐसा होना चाहिए, जहां महिलाएं खुश और सुरक्षित महसूस करें। हम अपनी बहनों के प्रति अपने मिशन में विफल रहे हैं। अब भी पुरुषों के पास खुद को सुधारने का समय है।
प्रदर्शनकारियों को धमका रही ममता बनर्जी सरकार: शहजाद पूनावाला
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के नेता शहजाद पूनावाला ने भी मामले को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, आज सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कब इस्तीफा देंगी। इसके बजाय, हम देख रहे हैं कि जो भी इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं, ममता बनर्जी सरकार उन्हें नोटिस भेज रही है और धमका रही है। पुलिस डॉक्टरों को बुला रही है। जब उनके नेता आवाज उठाते हैं तो उन्हें भी तलब किया जा रहा है। जांच की मांग करने के लिए सांसद सुखेंदु शेखर राय को कोलकाता पुलिस ने तलब किया है। सरकार ने सबूतों को नष्ट करने के लिए संस्थागत और प्रणालीगत दृष्टिकोण अपनाया। कलकत्ता हाईकोर्ट पहले ही इस मामले पर बंगाल सरकार के प्रति असंतोष जता चुकी है। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले का संज्ञान लिया है। ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी मामले पर चुप्पी तोड़ें: भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवण ने कहा, कांग्रेस की संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी कोलकाता की इस घिनौनी घटना पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? सोनिया गांधी ने तृणमूल सरकार की निंदा क्यों नहीं की, जो न्याय की मांग करने वालों की आवाजों को दबा रही है? यह समय है कि सोनिया गांधी अपनी चुप्पी तोड़ें और भारत के लोकतंत्र के सबसे अंधकारमय अध्यायों में से एक पर बोलें, जो इंदिरा गांधी की आपातकाल के बाद का है।
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