नई दिल्ली। एक साधारण परिवार से निकल कर पांच दशक तक देश की सियासत में अहम रोल अदा करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है। बीती रात उनका गुरुग्राम में निधन हो गया। शुक्रवार सुबह जैसे ही शरद यादव के निधन की जानकारी फैली, देश-दुनिया से लोग उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
सात बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा के सांसद रहे 75 शरद यादव गुरुग्राम के फोर्टिंस अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की जानकारी सुभाषिनी यादव ने दी। सुभाषिनी यादव शरद यादव की बेटी हैं और पिता के सियासी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। सुभाषिनी यादव ने पिछली बार पिता की पारंपरिक सीट मधेपुरा में पड़ने वाले एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
शरद यादव की दो संतान- बेटी सुभाषिनी और बेटा शांतनु
शरद यादव के दो संतान है- बेटी सुभाषिनी और बेटा शांतनु। यूं तो दोनों राजनीति में सक्रिय है। लेकिन सुभाषिनी सियासी मैदान में ज्यादा मुखर और सक्रिय दिखती हैं। पिता के निधन की जानकारी भी सुभाषिनी ने ही दी। सुभाषिनी अभी कांग्रेस में है। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में भी वो खासा सक्रिय दिखी थी। बीते कुछ दिनों से पिता के बिगड़ती सेहत को लेकर वो पिता के साथ ही थी।
पंजाब की फिजाओं में मोहब्बत का पैगाम बिखरते हुए यात्रा निरंतर आगे बढ़ रही है। इस दौरान AICC कोषाध्यक्ष श्री @pawanbansal_chd जी एवं संगठन महासचिव श्री @kcvenugopalmp जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ व सुखद चर्चा हुई।#BharatJodoYatra pic.twitter.com/z5aylUwuFt
— Subhashini Sharad Yadav (@Subhashini_12b) January 12, 2023
2020 में बिहारीगंज से लड़ी थी विधानसभा चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के समय सुभाषिनी यादव कांग्रेस में शामिल होकर सक्रिय रूप से राजनीति में आई थी। 2020 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें मधेपुरा जिले के बिहारीगंज विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाकर उतारा था। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। सुभाषिणी के साथ-साथ शांतनु भी कई बार बिहार के मधेपुरा में जनसंपर्क करते नजर आए हैं।
हरियाणा के राजनीति परिवार में हुई है शादी
सुभाषिनी यादव पिता के विचारों को आगे बढ़ाने का काम करती हैं। ऐसा वो अक्सर चुनावी मंचों और बैठकों में खुद के बारे में कहती है। सुभाषिणी की शादी हरियाणा के एक राजनीतिक परिवार में हुई हैं। वो कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की करीबी मानी जाती है। अब पिता के निधन के बाद देखना दिलचस्प होगा कि सुभाषिनी शरद यादव की सियासी विरासत को कितना संभाल पाती है।
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