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    जानें- किन मरीजों को लंबे वक्त तक तंग कर रहा कोरोना, हो रहीं नई-नई दिक्कतें

  • June 17, 2021

    नई दिल्‍ली। कोरोना के मरीजों के लक्षणों को ज्यादा से ज्यादा समझने के लिए दुनिया भर में कई स्टडी की जा रही हैं. एक नई स्टडी में बताया गया है कि बिना लक्षण वाले लगभग हर पांचवें मरीज ने इसका पता चलने के एक महीने बाद तक लॉन्ग कोविड का अनुभव किया. यानी इन मरीजों में एक महीने के बाद तक कोरोना से जुड़ी कुछ न कुछ दिक्कत होती रही. लक्षण गंभीर ना होने पर अधिकतर मरीज घर में आइसोलेशन में रहकर ही इलाज करते हैं.

    ये स्टडी अमेरिका के एक एनजीओ फेयर हेल्थ ने वहां के 19 लाख लोगों के क्लेम किए गए बीमा के आधार पर किया है. एनजीओ के अध्यक्ष रॉबिन गेलबर्ड ने कहा, ‘कोविड -19 के लक्षण कम होने के बावजूद कई लोगों को ये लंबे समय तक प्रभावित कर रहा है.’

    गेलबर्ड ने कहा, स्टडी के नतीजे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जरूरी प्रकाश डालते हैं. इससे लॉन्ग कोविड के मरीजों, बीमा पॉलिसी बनाने वालों, इसे बेचने वालों, इसके लिए भुगतान करने वालों और शोधकर्ताओं को भी काफी मदद मिलेगी.’ लॉन्ग कोविड का खतरा- लॉन्ग कोविड मरीजों में चार सप्ताह से ज्यादा बना रहता है. स्टडी में पाया गया कि लॉन्ग कोविड से परेशान सभी उम्र के लोगों में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, हाई कोलेस्ट्रॉल, बेचैनी, बहुत थकान और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी.


    कोरोना से ठीक होने के 30 या उससे अधिक समय के बाद उन मरीजों के मरने की संभावना 46 गुना अधिक थी, जिन्हें इस बीमारी का पता चलने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और ठीक होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था. वहीं अस्पताल में भर्ती ना होने वालों में मौत की संख्या कम थी. स्टडी के अनुसार, कोरोना के एसिम्टोमैटिक मरीजों में से 19 फीसद लोगों ने इलाज के 30 दिन बाद लॉन्ग कोविड लक्षण महसूस किए. लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती होने वालों का ये आंकड़ा 50 और लक्षणों के बावजूद अस्पताल में भर्ती ना होने वालों का 27.5 फीसद तक था.

    लॉन्ग कोविड के ये लक्षण उम्र के हिसाब से देखने को मिले. जैसे बच्चों में ये समस्या आंत से जुड़ी हुई पाई गई. वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में लॉन्ग कोविड के लक्षण ज्यादा पाए गए. महिलाओं की तुलना में ज्यादातर पुरुषों में दिल के सूजन की समस्या देखी गई. इन मामलों का एक चौथाई हिस्सा 19-29 आयु वर्ग का था. इसके अलावा कई लोगों में चिंता, डिप्रेशन और एडजस्टमेंट डिसऑर्डर देखा गया. लॉन्ग कोविड को पोस्ट कोविड सिंड्रोम या पोस्ट-एक्यूट सीक्वल भी कहा जाता है. अब तक इसके कारणों का ठीक से पता नहीं चल पाया है. स्टडी के अनुसार, इसके पीछे एक वजह ये हो सकती है कि बीमारी के शुरुआती दौर में वायरस तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है. ये बहुत धीमी गति से ठीक होता है और ऐसी स्थिति में कम स्तर का वायरस शरीर में बना रहता है.

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