डेस्क: होलाष्टक (Holashtak) शब्द होली और अष्टक से से मिलकर बना है. इसका अर्थ है होली के आठ दिन. देशभर में होलिका दहन (Holika Dahan) फाल्गुन मास की पूर्णिमा (Phalguna Purnima) को किया जाता है, पूर्णिमा से आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक के आठ दिनों के बीच विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है. हालांकि ये आठ दिन पूजा पाठ के लिहाज से काफी शुभ माने जाते हैं. इस बार होलिका दहन 18 मार्च 2022 को होगा, इसलिए होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 10 मार्च 2022 से लग जाएंगे. जानिए होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ.
ये है पौराणिक कथा
होलाष्टक की कथा हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रहलाद से जुड़ी है. हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद श्रीनारायण का अनन्य भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र का भगवान विष्णु की भक्ति करना पसंद नहीं था. इसलिए उसने अपने पुत्र को मारने के उद्देश्य से आठ दिनों तक काफी प्रताड़ित किया था और कठोर यातनाएं दी थीं. लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से हिरण्यकश्यप प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं कर सका. आठवें दिन प्रहलाद की बुआ होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठी थी.
होलिका को आग से न जलने का वरदान प्राप्त था. लेकिन नारायण की कृपा से इस आग में होलिका जलकर भस्म हो गई, लेकिन प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ. जिस दिन होलिका भस्म हुई, उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि थी. तब से हर साल इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है और इसके बाद हर्ष और उल्लास से होली का त्योहार मनाया जाता है. होलिका दहन से आठ दिन पहले के दिन भक्त प्रहलाद के लिए काफी कष्टकारी थे, इसलिए इन्हें अशुभ माना गया है. इन दिनों में कोई शुभ काम नहीं किया जाता है, लेकिन नारायण की भक्ति के लिए ये दिन बेहद खास माने गए हैं.
होलाष्टक के दौरान नहीं करने चाहिए ये काम
क्या करना चाहिए
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