नई दिल्ली: सरकारी और प्राइवेट नौकरी कर रहे कर्मचारियों के लिए एक बुरी खबर है. सरकार ने कर्मचारियों की लंबे समय से की जा रही एक मांग को एक बार फिर ठुकरा दिया है. श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली (Minister of State for Labor and Employment Rameshwar Teli) ने कहा है कि कर्मचारियों को साल के 15 दिनों के वेतन के बराबर ही ग्रेच्युटी मिलेगी, इसे बढ़ाकर 30 दिन करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
राज्यसभा में श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली से ये सवाल पूछा गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के निजी और संविदा श्रमिकों, जिन्होंने पांच वर्ष से कम काम किया है उनके लिए ग्रेच्युटी योजना लागू की जाएगी या नहीं? इस पर राज्य मंत्री ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (Code on Social Security, 2020) के तहत किसी कर्मचारी की नौकरी खत्म होने पर, मृत्यु या अपंगता अथवा निश्चित अवधि के रोजगार की समाप्ति या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित ऐसी किसी घटना के कारण होती है, तो ग्रेच्युटी के लिए 5 साल की निरंतर सेवा पूरी करना जरूरी नहीं होगा. लेकिन अभी सामाजिक सुरक्षा संहिता लागू नहीं हुई है.
ग्रेच्युटी एक ऐसा बेनिफिट है जो Payment of Gratuity Act 1972 के तहत कर्मचारियों को मिलता है. यह सैलरी का वह हिस्सा है, जो कंपनी या नियोक्ता (Employer) अपने कर्मचारी को उसकी सालों की सेवाओं के बदले देता है. ग्रेच्युटी नौकरी छोड़ने या खत्म हो जाने पर कंपनी की तरफ से कर्मचारी को दी जाती है.
ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन सेवा वर्ष x अंतिम वेतन x 15/26 के फार्मूले के आधार पर होती है. जैसे अगर किसी कर्मचारी ने 30 साल नौकरी की है और उसकी लास्ट सैलरी 30,000 रुपये थी तो उसे 30x30000x15/26 = 519,230.7692 रुपये ग्रेच्युटी की रकम मिलेगी.
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