भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (Congress President Kamal Nath) ने रविवार को मध्य प्रदेश शिक्षक कांग्रेस (Madhya Pradesh Teachers Congress) के अधिवेशन में बड़ा बयान दिया। कमलनाथ ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हम पुरानी पेंशन बहाल (old pension restored) करेंगे, हर हाल में लागू करेंगे। पुरानी पेंशन और नई पेंशन को लेकर बहस एक बार फिर शुरू हो गई है।
जानकारी के मुताबिक 1 जनवरी 2005 के बाद से मध्य प्रदेश में 3.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी सरकारी सेवा में शामिल हुए हैं। इनमें 2.87 लाख शिक्षक और बाकी 48 हजार अन्य सेवाओं के कर्मचारी हैं। नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी के मूल वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है और उसमें सरकार 14 फीसदी अपना हिस्सा मिलाती है।
जानें पुरानी और नई पेंशन स्कीम में अंतर
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) में कर्मचारी की सैलरी से किसी तरह की कटौती नहीं होती थी। वहीं नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। साथ ही 14 फीसदी हिस्सा सरकार मिलाती है।
- पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से पेंशन का भुगतान किया जाता था। वहीं नई पेंशन योजना शेयर मार्केट बेस्ड है। इसका भुगतान बाजार पर निर्भर करता है।
- पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी। लेकिन नई पेंशन स्कीम में जीपीएफ की सुविधा मौजूद नहीं है।
- पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी रकम पेंशन के रूप में मिलती थी। जबकि नई पेंशन स्कीम में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।
- पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारियों को भी हर 6 महीने में मिलने वाला महंगाई भत्ता भी मिलता था। लेकिन नई स्कीम में इसकी व्यवस्था नहीं है।
- पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलती थी। लेकिन नई पेंशन स्कीम में ग्रेच्युटी का अस्थाई प्रावधान है।
- पुरानी योजना में कर्मचारी की मौत पर उसके परिजनों को भी पेंशन मिलती थी। नई पेंशन स्कीम में भी कर्मचारी की मौत पर परिजनों को पेंशन मिलती है, लेकिन योजना में जमा पैसा सरकार ले लेती है।
- पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ के ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता था। लेकिन नई स्कीम में शेयर मार्केट के आधार पर जो पैसा मिलता है, उस पर टैक्स भी देना पड़ता है।
- पुरानी स्कीम में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय जीपीएफ में कोई निवेश नहीं करना होता था। वहीं नई स्कीम में 60 फीसदी फंड रिटायरमेंट के समय कर्मचारी को मिल जाता है। लेकिन 40 फीसदी सरकार निवेश करती है और उसके आधार पर हर महीने की पेंशन मिलती है।