नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार ने एक साहसिक कदम उठाते हुए रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स (Retrospective Tax) को खत्म करने का फैसला किया है. इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में कराधान विधि संशोधन विधेयक 2021 पेश किया. जिसमें रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक के पास होते ही 28 मई 2012 से भारतीय एसेट्स के परोक्ष ट्रांसफर पर लगने वाले रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स खत्म हो जाएंगे. सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयक से आयकर कानून 1961 में संशोधन होगा.
जानिए क्या है Retrospective Tax
आसान भाषा में इसे ऐसे समझें कि मान लीजिए सरकार साल 2021 में किसी प्रोडक्ट, डील या सर्विस पर टैक्स लगाने का कानून बनाती है. इस कानून के तहत सरकार एक टाइमलाइन तय करती है, जिससे कंपनी से टैक्स वसूला जाएगा. मान लीजिए सरकार ने 2015 की टाइमलाइन तय की है तो फिर सरकार 2015 से अब तक का कुल टैक्स कंपनी से वसूलेगी. भले ही 2015 में यह कानून नहीं था लेकिन चूंकि सरकार ने 2021 में कानून बना दिया है तो कंपनी को 2015 से ही टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा!
सरकार ने क्यों इस टैक्स को हटाने का फैसला किया?
दरअसल इस रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के चलते देश में निवेश को धक्का लगा है. सरकार की काफी कोशिशों के बाद भी देश में विदेशी निवेश उत्साहजनक नहीं रहा है. जिसकी एक वजह ये रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को भी माना जा रहा है. साल 2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में लागू हुए इस टैक्स को कई विशेषज्ञ भी गलत मानते हैं. पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके थे कि रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स गलत है. अब जब सरकार इसे खत्म करने जा रही है तो इससे उम्मीद जगी है कि देश में विदेशी कंपनियां निवेश के लिए आएंगी.
देश की साख को भी पहुंचाया नुकसान
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स से ना सिर्फ देश में विदेशी निवेश को नुकसान पहुंचा बल्कि इससे देश की साख को भी नुकसान पहुंचा था. दरअसल सरकार को रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स से 8100 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 7900 करोड़ रुपए यूके की एक कंपनी केयर्न एनर्जी के हैं. इसे लेकर भारत सरकार और केयर्न एनर्जी के बीच विवाद भी चला और केयर्न एनर्जी ने इसके खिलाफ फ्रांस में केस भी किया. जिस पर बीते दिनों फ्रांस की अदालत ने आदेश देते हुए भारत सरकार की फ्रांस में मौजूद 20 संपत्तियों को फ्रीज करने का आदेश दिया था. इससे भारत की साख को नुकसान पहुंचा था.
बता दें कि केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को गलत माना और इसका भुगतान करने से इंकार कर दिया. जिस पर सरकार ने कंपनी के शेयर फ्रीज कर दिए. इसके विरोध में कंपनी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ ऑर्बिट्रेशन चली गई, जहां से भारत सरकार को झटका लगा था. अब सरकार रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म कर केयर्न एनर्जी और वोडाफोन के साथ चले आ रहे अपने विवाद को खत्म कर सकेगी.
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