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दिल्ली चुनाव के लिए जानें क्या है कांग्रेस का प्लान.., जनाधार वापस पाना बड़ी चुनौती!

January 08, 2025

नई दिल्ली। दिल्ली (Delhi) की सत्ता में लगातार तीन बार काबिज रही कांग्रेस (Congress) के लिए इस विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में अपने जनाधार को वापस पाना बड़ी चुनौती (Getting back support base big challenge) है। कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की स्थिति पिछले एक दशक में लगातार कमजोर होती दिखाई दी है। जहां 2013 के चुनाव में कांग्रेस (Congress) सत्ता से बाहर हुई, वहीं 2015 और 2020 के चुनाव में पार्टी ने अपनी जमीन लगभग खो दी।


2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज आठ सीट पर जीत मिली, जबकि इससे पहले शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी ने लगातार 15 वर्ष तक राजधानी में शासन किया था। 2015 के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन और भी खराब रहा, जब उसे एक भी सीट नहीं मिली। वोट शेयर घटकर 9.7 फीसदी रह गया। 2020 के चुनाव में भी पार्टी कोई सुधार नहीं कर सकी और उसका मत प्रतिशत गिरकर 4.26 फीसदी हो गया।

2024 लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग 18.91 फीसदी रहा, जो पार्टी के लिए थोड़ा राहतभरा संकेत हो सकता है। हालांकि, यह सुधार विधानसभा चुनाव में कितनी प्रासंगिकता रखेगा, यह कहना मुश्किल है। एक दशक से दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में मजबूत और प्रभावी नेतृत्व का अभाव एक बड़ी समस्या है। शीला दीक्षित के निधन के बाद पार्टी के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो जनता के बीच उनकी छवि को दोहरा सके।

मजबूती: इसबार एकजुट होकर लड़ रही
– कांग्रेस ने इस बार चुनाव में बड़े चेहरों को चुनाव मैदान में उतारने के साथ राष्ट्रीय नेताओं को चुनाव में लगाया है।
– पार्टी अपने पारंपरिक वोट बैंक झुग्गी, कच्ची कॉलोनियों में फिर से पैठ बनाने की कवायद में जुटी है।
– कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने के लिए, जनता से जुड़ने के लिए न्याय यात्राओं का आयोजन किया है।
– लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मजबूती से चुनाव लड़ा तो उसका फायदा विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।
– कांग्रेस युवा चेहरों को मौका दे रही है, युवा वोट बैंक को साथ लाने की कवायद कर रही है।

कमजोरी: आप में गया वोटबैंक, संगठन नहीं
– पार्टी सांगठनिक ढांचा बनाने में पार्टी कमजोर रही है।
– शीला दीक्षित के निधन के बाद प्रदेश में नेतृत्व का कोई बड़ा चेहरा सफल नहीं रहा।
– सीएम पद का स्पष्ट चेहरा नहीं है।
– वोटबैंक आप में शिफ्ट हुआ।
– मतीन अहमद और वीर सिंह धीगांन जैसे चेहरे साथ कांग्रेस को छोड़कर चले गए।

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