डिप्रेशन सभी उम्र के लिए खतरनाक होता और ये आपकी जीवनशैली में पूरी तरह से हस्तक्षेप करता है। हम अक्सर ये सोचते हैं कि डिप्रेशन आमतौर पर एक उम्र के बाद होता है जब हम पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं। जबकि आपकी ये धारणा काफी गलत है। बल्कि बच्चों में होने वाला अवसाद अलग तरीके को होता है। बच्चों में अवसाद का कारण अभी तक अज्ञात है, लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये बच्चों में किसी घटना के बाद और पारिवारिक इतिहास के कारण। आजकल बच्चों में आसानी से अवसाद के लक्षण देखने को मिलते हैं, इसलिए जरूरी है बच्चों में होने वाले डिप्रेशन के बारे में माता-पिता, शिक्षकों और दूसरे वयस्कों के लिए ये महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए जब आप इनके अवसाद की स्थिति को समझने की कोशिश करते हैं तो आप उनकी सही समय पर सहायता कर सकते हैं।
बच्चों का डिप्रेशन कैसे है सामान्य डिप्रेशन से अलग?
बच्चों का अवसाद सुनने में भले ही आपको एक सामान्य अवसाद की तरह लगे लेकिन ये कई मायनों में अलग हो सकता है। इसके पीछे के कारण सामान्य अवसाद से अलग होते हैं, इनके लक्षण भी कई बार आपको अलग दिखाई दे सकते हैं और इसका उपचार भी अलग हो सकता है। ये निर्भर करता है बच्चे के अवसाद की स्थिति पर।
आपको बता दें कि आमतौर पर सामान्य अवसाद का कारण किसी को ज्यादा तनाव या चिंता के कारण होता है और उन्हें एक बड़ी घटना को देखने के बाद इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जबकि बच्चों की अवसाद की स्थिति में ये थोड़ा अलग इसलिए होता है क्योंकि बच्चों में हर चीज की क्षमता कम होती है और वो छोटे सी घटना या हादसे को दिल में बैठा सकते हैं जिसके कारण वो अवसाद की स्थिति में जा सकते हैं। बड़ों को से बाहर निकालने के लिए कई दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है जबकि बच्चों के लिए हल्की दवाओं के साथ उनके मानसिक सुधार पर जोर दिया जाता है। जिससे वो उस स्थिति से बाहर आ सके।
बच्चों में कितने प्रकार के होते हैं डिप्रेशन
ये स्थिति बच्चों में किसी छोटी घटना या हादसे को देखने के बाद भी आ सकती है, लेकिन इसके प्रकार अलग-अलग हो सकते हैं। बच्चों में अवसाद के मनोविकृति के परिणामस्वरूप अवसाद, जैसे दूसरे मूड विकारों के हिस्सा भी हो सकते हैं। वहीं, दूसरी ओर ये स्थिति हाइपोथायरायडिज्म की चिकित्सा स्थिति के रूप में भी हो सकती है। दवाओं का दुरुपयोग के कारण भी बच्चे इस स्थिति का शिकार हो सकते हैं।
बच्चों में डिप्रेशन के दौरान दिखने वाले लक्षण
हमेशा खामोश रहना।
लगातार वजन कम होना।
किसी से भी बात न करना।
खराब मूड के साथ रहना।
लोगों से दूर रहने की कोशिश करना।
हमेशा चिड़चिड़ापन रखना।
छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना।
दूसरे बच्चों से लड़ाई करना।
बचाव
बच्चों के साथ रोजाना बात करें और उनसे दिनभर होने वाली चीजों की जानकारी लें।
बच्चों को खेलने की आदत डालें और उन्हें अच्छे दोस्त बनाने की सलाह दें।
किसी भी तनाव या चिंता देखने पर बच्चों को समझाएं और उस स्थिति से बाहर निकालने की कोशिश करें।
किसी घटना या हादसे को कोशिश करें कि बच्चा न देखें न ही वो उस बारे में कुछ सुने।
नोट: डिप्रेशन के हल्के लक्षण दिखने के साथ ही आप बच्चे को डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं।
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