इंजीनियरिंग फील्ड (engineering field) काफी समय से भारत (India) के युवाओ को अपनी तरफ आकर्षित कर रही हैं, यही वजह है की हार साल लाखो स्टूडेंट्स, अपनी स्कूलिंग ख़तम करने के बाद, इंजीनियरिंग कोर्सेज की तरफ अपना रुझान दिखाते हैं और JEE Main जैसे एंट्रेंस एग्जाम्स को एटेम्पट करते हैं। ndtv.in के एक आर्टिकल के अनुसार जब स्टूडेंट्स 12वीं कक्षा पास करते हैं, तो बहुत सारे विकल्पों के बीच उनके मन में एक सवाल होता है – “यदि हमें इंजीनियरिंग क्षेत्र में करियर बनाना है तो कौनसी सस्पेशलाइजेशन चुनें?” आज के युवाओ के लिए इंजीनियरों में भी बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं, और हर विकल्प अपने आप में बहुत उत्कृष्ट माने जा सकते हैं। इसलिए आज हम आपको कुछ प्रमुख इंजीनियरिंग सस्पेशलाइजेशन (engineering specialization) के बारे में बताएँगे जिन्हें आप अपनी 12वीं कक्षा के बाद कर सकते हैं।
नैनो टेक्नोलॉजी (Nano Technology)
जैसा की आप नाम से ही समझ गए होंगे। ये टेक्नोलॉजी की वह शाखा है। जिसमे 1 नैनोमीटर से 100 नैनोमीटर के बीच संरचना के निर्माण के विषय का अध्ययन होता है, या आप इसे इस तरह भी समझ सकते है। नेनो स्केल पर परमाणुओं और अणुओं की हेर फेर करके संरचनाओं, उपकरणों को डिज़ाइन करके उपयोग के लिए समर्पित करना इसमें शामिल है। नैनो टेक्नोलॉजी की सहायता से ही आज के समय में कंप्यूटर और मोबाइल का आकार काफी छोटा हो चुका है, व नैनो टेक्नोलॉजी से ही मेडिकल में सूक्ष्म ऑपरेशन कराये जाते है।
मेडिकल छेत्र आजकल के समय में अपनी बुलंदियों पर है, लेकिन जब मेडिकल छेत्र में लगा की मशीन व कंप्यूटर जैसी सुविधाओं से और भी सुधर किये जा सकते है, तो इंजीनियरिंग व मेडिकल को जोड़कर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विषय बनाया गया। ये एक मेडिकल व इंजीनियरिंग का मिश्रण कोर्स है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के अंतर्गत इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी की सहायता से जूलॉजी और चिकित्सा से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान होता है। कई तरह के उपकरण जैसे आर्टिफिशियल अंग, सर्जिकल रोबोट, जीन कोडिंग, नई दवाओं के विकास भी इसी छेत्र के माध्यम से हो पाया है।
ये कंप्यूटर की सेल्फ लर्निंग से जुड़ा हुआ है, या हम इसे इस तरह से भी समझ सकते है। जिस कोर्स में कंप्यूटर को खुद से सीखने की छमता देना सिखाया जाता है। मशीन लर्निंग भी एक कंप्यूटर इंजीनियरिंग का ही भाग है। इसके अंतर्गत आप किसी भी प्रकार के मॉडल प्रोग्राम व अल्गोरिदम को डिज़ाइन करते है। मशीन लर्निंग में इंजिनीर्स को मशीन के पैटर्न को समझ के मशीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी को सुधारने व बेहतर बनाने का काम सौंपा जाता है। इसका उपयोग आजकल के समय में हर जगह जैसे फाइनेंसियल सर्विस, गवर्नमेंट, हेल्थ केयर ,ऑयल, गैस, ट्रांसपोर्टेशन आदि जगह में हो रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक प्रकार का वरदान और अभिशाप दोनों मान सकते है।Aajtak के एक रिपोर्ट के अनुसार ये एक कंप्यूटर साइंस की शाखा है, जिसमे मशीन व कंप्यूटर को इस तरह से डेवलप किया जाता है कि वह हर वो काम कर दे, जिसके लिए मनुष्य की जरूरत है। जिसका उदाहरण रोबोट, सेल्फ ड्राइविंग कार, चैट जीपीटी, गूगल के कई टूल्स आदि है। अपनी कार्यशैली में प्रगति की वजह से ये आजकल के समय में हर छेत्र में यूज़ किया जा रहा है। इस छेत्र में भविष्य में बहुत अवसर है लेकिन लोगों में भविष्य के लिये ये डर भी बना हुआ है कि कहीं आर्टिफीसियल इंटेलिजेंसी उनकी जॉब उन से न छीन ले।
पर्यावरण को टेक्नोलॉजी और साइंस की बढ़ती डिमांड की वजह से न चाहते हुए भी कई प्रकार के नुक्सान झेलने पड़े है। जिसकी वजह से कई प्रकार की बीमारियां, प्रकृति में बदलाव व प्राकृतिक संसाधनों में कमी जैसी समस्याओं को देखना पड़ रहा है। इसका जिम्मेदार साइंस और टेक्नोलॉजी को बताया जाता है। लेकिन अब अल्टरनेटिव एनर्जी इंजीनियरिंग इस समस्या का समाधान है। ये इंजीनियरिंग का वह पार्ट है,
जिसके अंतर्गत ऐसे ऊर्जा के स्रोतों का आविष्कार करना है, जो पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए। अभी तक इसकी सहायता से हम सौर ऊर्जा लाइट, पवन टरबाइन व कार्बन न्यूट्रल ऊर्जा संसाधनों का विकास कर चुके है।
डाटा एनालिटिक्स (Data Analyst)
डाटा एनालिटिक्स भी आजकल की पीढ़ी में बहुत चर्चित है। इसके अंतर्गत किसी भी प्रोजेक्ट पर काम करने से पहले उसकी डिमांड को देख कर डाटा को एनालाइज़ करना पड़ता है। इसके लिए आपको इस प्रोसेस में काम आने वाले टूल्स को यूज़ करना आना चाहिए। अगर आपकी मैथ्स और स्टैटिस्टिक्स में दिलचस्पी है, और आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स भी अच्छी है, तो आप डाटा एनालिटिक्स को अपने करियर के लिए चुन सकते है। इसके अंतर्गत आपको किसी समस्या का हल ढूंढ़ने के लिए डाटा को एकत्र करना, उसे फ़िल्टर करना व ब्याख्या करना होता है। इसकी सहायता से व्यवसाय, वित्त, न्याय, चिकित्सा व सरकारी प्रोजेक्ट्स के साथ भी आप काम कर सकते है।
हमारी रोज की दिनचर्या में हम कई प्रकार के प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग करते है, और दिन-ब-दिन इनकी जरूरते बढ़ती ही जा रही है। दुनिया की अर्थव्यवस्था भी इन संसाधनों पर निर्भर करती है। इसी के चलते इस छेत्र की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। इसके अंतर्गत कच्चे तेल और प्राकृतिक संसाधनों की खोज की जाती है। इस छेत्र से जुड़ने के लिए आपको जियोलॉजी, इक्नोमिक्स, जिओफिक्स, ड्रिलिंग व उस उत्पादन को निकलने के लिए उपकरणो का विकास आदि की जानकारी भी होना जरूरी है।
ऊपर दी गई सस्पेशलाइजेशन्स केवल कुछ उदाहरण हैं, अगर आपकी रुचि किसी और इंजीनियरिंग सस्पेशलाइजेशन में है, तो आप उसे चुन सकते हैं। याद रखें, किसी भी इंजीनियरिंग कोर्स को चुनने से पहले अच्छी तरह सोचें और अपने इंट्रेस्ट और एबिलिटी को ध्यान में रखें। जिस क्षेत्र में आपकी रुचि होती है और जिसमें आपका रुझान मजबूत होता है, वही आपके लिए सर्वोत्तम होगा।
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