नई दिल्ली। भारत (India) में कोरोना वायरस(Corona Virus) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हालात इतने गंभीर हैं, कि अस्पतालों (Hospitals)में बेड खाली नहीं हैं। वहीं ज्यादातर मरीज ऑक्सीजन(Oxygen) के कमी के चलते मर रहे हैं। डॉक्टर्स की सलाह है कि सांस लेने में तकलीफ होने पर तत्काल रूप से अस्पताल में भर्ती न हों। पहले ऑक्सीजन लेवल(Oxygen Level) के बारे में समझ लें, इनके लक्षणों को जानें और फिर यदि स्थिति बहुत गंभीर ना लगे, तो घर में ही रहकर इलाज करने की कोशिश करें।
सांस लेने में दिक्कत और ऑक्सीजन की कमी संक्रमण के सामान्य लक्षण हैं। जरा सी सांस लेने में परेशानी होने पर लोग हड़बड़ाहट में अस्पताल की तरफ दौड़ लगा रहे हैं। हालांकि, सांस लेने में कठिनाई का सामने करने वाले हर व्यक्ति को तत्काल अस्पताल में भर्ती हाने की जरूरत नहीं होती। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS ) के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में मुद्दा उठाया था कि हर कोविड रोगी को ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत नहीं होती। लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं। देखा जाए, तो लोगों को अब तक इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। ऐसे समय में जब स्थिति इतनी भयावह है, तो यह महत्वपूर्ण है कि लोग ऑक्सीन में कमी के लक्षणों को समझें, जानें कि इसके लिए मेडिकल हेल्प लेने का सही समय क्या है।
ऑक्सीजन सेचुरेशन क्या है और सांस को कैसे प्रभावित करता है
ऑक्सीजन सेचुरेशन ब्लड में ऑक्सी हीमोब्लोबिन के प्रतिशत को मापता है, जो फेफड़ों से विभिन्न अंगों में पहुंचाया जाता है। 94 से ऊपर की रीडिंग को स्वस्थ माना जाता है। हालांकि, कोविड के साथ शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति तेजी से प्रभावित हो सकती है।
वायरस के कारण फेफड़ों और चेस्ट केविटी में सूजन की शिकायत आने लगी हैं। यदि ऑक्सीजन का स्तर 94-100 के बीच है, तो टेंशन की बात नहीं है। लेकिन 94 के नीचे की रीडिंग से हाइपोक्सिमिया हो सकता है। मतलब ये है कि अगर ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे पहुंच गया है, तो मरीज पर लगातार निगरानी रखनी पड़ेगी। ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे आए , तो ये किसी गंभीरता का संकेत है। इसके लिए तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत पड़ती है।
रोगी को कब पड़ती है ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत?
इस आपा-धापी में व्यक्ति समझ ही नहीं पा रहा कि वाकई उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है भी यहां नहीं। कहने को तो सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द ऑक्सीजन में कमी के संकेत हैं। लेकिन ये स्थिति पर निर्भर करता है कि मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट चाहिए या नहीं।
कुछ मामलों में ऑक्सीजन की कमी रोगी के अंगों को प्रभावित कर सकती है। डॉक्टर्स की मानें, तो ऑक्सीजन की कमी और सांस संबधी लक्षण दिखें, तो पहली फुसर्त में घर पर ही ठीक करने का प्रयास करें। बता दें कि अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता इसके लक्षणों पर निर्भर करती है।
जब ऑक्सीजन का स्तर 91 से नीचे चला जाए तब…
हालातों को देखते हुए आपको ऑक्सीजन से जुड़ी सभी बातें पता होनी चाहिए। 95 से ऊपर का ब्लड ऑक्सीजन लेवल अच्छा माना जाता है। 91-94 के बीच है, तो लगातार निगरानी करने की जरूरत पड़ती है। लेकिन जब ऑक्सीजन का स्तर 91 से नीचे चला जाए, तो व्यक्ति को डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, घर पर ऑक्सीजन थैरेपी से ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
जब होठों का नीला और चेहरे का रंग फीका पड़ने लगे
हममें से कई लोगों का ध्यान कोविड -19 के इस लक्षण की तरफ नहीं जाता। नीले, फूले हुए होंठ और चेहरे पर कालापन दिखे, तो यह शरीर में ऑक्सीजन की कमी का संकेत है। ब्लड में ऑक्सीजन लेवल कम होने पर होठों का रंग नीला पडऩे लगता है। सामान्य स्थितियों में तो ऑक्सीजन त्वचा में चमक बढ़ाती है, लेकिन जब ऑक्सीजन का स्तर खतरनाक रूप से कम जाए, तो यह त्वचा पर पीलापन दिखाई देने लगता है।
भ्रम और चक्कर आना
ऑक्सीजन में कमी का संबंध मास्तिष्क से जुड़ा हुआ है। ऑक्सीजन लेवल में कमी रक्त के प्रवाह में बाधा पैदा कर सकती है। इस मामले में जब ऑक्सीजन का स्तर वॉर्निंग साइन से कम हो जाए, तो तंत्रिका संबंधी जटिलताओं की संभावना बढ़ जाती है। जिससे चक्कर आना, भ्रमित होना, या एकाग्रता में कमी आ सकती है। नए अध्ययन और शोधों से पता चला है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड रोगियों में से 82 प्रतिशत को तंत्रिका संबंधी जटिलताएं थीं।
छाती या फेफड़ों में दर्द होना
ऑक्सीजन का स्तर कम होना कोविड रोगी के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। हालांकि डॉक्टर कहते हैं कि ऑक्सीजन लेवल में उतार-चढ़ाव की स्थिति को घर में ही रहकर ठीक किया जा सकता है। लेकिन जब रोगी की छाती में दर्द हो, सांस लेने में हाफ रहा हो, बहुत तेज सिरदर्द हो, खांसी हो जाए, तो अस्पताल ले जाने में देरी नहीं करनी चाहिए। बता दें कि ये सभी कोविड-19 के इमरजेंसी वॉर्निंग साइन माने जाते हैं, इसलिए किसी भी कीमत पर इन लक्षणों को अनदेखा ना करें।
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