आजकल लव जिहाद को लेकर पूरे देश में माहौल बना हुआ है और बेहद ही ज्यादा चर्चा इस मामले की है। आइए जानते हैं लव जिहाद का इतिहास। अंतरधार्मिक विवाह ‘लव जिहाद’ कब कहलाता है? यह इस पर निर्भर करता है कि कहानी कौन सुना रहा है। आगरा की प्रमिला सज्जन बार-बार कहती हैं कि उनकी बेटी संजना को 2018 में एक मुस्लिम शख्स ‘छीन ले गया।’ वो कहती है, “मैं एक दिन घर आई और देखा कि वो मेरी बेटी को ले जा चुका है।” तबसे संजना ने केवल एक बार घर फोन किया है, वह भी अपनी मां को यह बताने के लिए कि उसने किसी से शादी कर ली है और उसी के साथ रह रही है। प्रमिला कहती है, ‘उसने कहा कि वो वापस नहीं आएगी।’ उनके मुताबिक संजना को ‘ब्रेनवॉश’ किया गया। यह नैरेटिव 1920 के दशक की एक घटना से खासा मेल खाता है। एक तरह से उसे ‘लव जिहाद’ का पहला ‘केस’ कह सकते हैं।
1927 का साल और मुजफ्फरनगर में बवाल
1927 में मुजफ्फरनगर की ‘शांति’ तब भंग हुई जब पता चला कि एक हिंदू लड़की का जबर्दस्ती धर्मांतरण कर मुस्लिम मर्द से शादी करा दी गई। लोग जुटे, भीड़ ने आकार लेना शुरू और आरोपी के घर की ओर चल पड़े। बाद में पता चला कि लड़की हमेशा से मुस्लिम थी। इस घटना का ब्योरा 1920 और 1930 के दशक में कई लोगों ने दिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के इतिहासकार चारू गुप्ता ने 2002 की रिसर्च में इस घटना को भी शामिल किया है। सार्वजनिक रूप से तब तक देश में ‘लव जिहाद’ की चर्चा नहीं होती थी।
1920 के दशक में कई ऐसे मामले
गुप्ता ने कहा, “हिंदू सुधारकों ने 20वीं सदी की शुरुआत में अपहरण के जो मामले उठाए, वे ‘लव जिहाद’ से खासा मेल खाते हैं।” जो लड़कियां भागीं और धर्म परिवर्तन किया, उनमें से अधिकतर बेसहारा थीं। गुप्ता की स्टडी के मुताबिक, “1927 में प्रतापगढ़ की एक हिंदू महिला ने मुसलमान संग भागकर शादी कर ली। बनारस में 1924 में एक महिला ने मुस्लिम शख्स के लिए अपने पति को छोड़ दिया था…. अप्रैल 1927 में झांसी में एक मुस्लिम के वेश्या को रखने पर बवाल हो गया था जो मूल रूप से हिंदू थी मगर बाद में इस्लाम कबूल कर लिया था।”
21वीं सदी में पूरे देश में होने लगी ‘लव जिहाद’ की चर्चा
मगर आज की तरह तब भी ऐसी कहानियां सुनी-सुनाई बातों पर चलती थीं। जर्मनी में रहने वाली पीएचडी स्कॉलर आस्था त्यागी के मुताबिक, “इस टर्म (लव जिहाद) का इस्तेमाल गुजरात में 90 के दशक के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत में हो रहा था। उस वक्त ‘लव जिहाद’ का मतलब था कि मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को फंसाते हैं, खासतौर से डांडिया जैसे सामुदायिक कार्यक्रमों में और फिर उनका धर्मांतरण करा देते हैं।” वहीं, गुप्ता के मुताबिक, “21वीं सदी के पहले दशक में ‘लव जिहाद’ की चर्चा देशभर के हिंदू संगठनों के कार्यक्रमों में होने लगी। श्रीराम सेना के नेता प्रमोद मुथालिक ने इसे फैलाने में अहम भूमिका निभाई।”
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