नई दिल्ली। आजकल बढ़ते वायु प्रदूषण (air pollution) का असर सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य (physical health) तक ही सीमित नहीं है. जहरीली हवा में सांस लेने से हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है. आइए जानते हैं कैसे? आज के समय में बढ़ते वायु प्रदूषण (air pollution) की वजह से लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है. प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोग अकसर चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं.
शोध के अनुसार वायु प्रदूषण की वजह से मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ रहा है जिससे सोने में परेशानी, सिरदर्द, भूलने की समस्या और मानसिक थकान जैसी परेशानियां हो रही है. यह लोगों को अवसादी, गुस्सैल और हिंसक भी बना सकता है. रिसर्च के अनुसार यह साबित हो चुका है कि प्रदूषण मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है और तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार में बाधा डालता है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है और अल्जाइमर जैसी बिमारियां हो रही हैं.
हवा में मौजूद बहुत छोटे-छोटे कण जिन्हें पीएम 2.5 कहते हैं, हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं और दिमाग तक पहुंच जाते हैं.ये कण दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते है. और वे कुछ बातें याद नहीं रख पाते. इसे न्यूरोजेनेरेटिव डिसऑर्डर कहा जाता है. जब हम प्रदूषित हवा को अंदर सांस के रूप में लेते हैं तो शरीर में स्ट्रेस हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है. ये हार्मोन हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं
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