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    Women’s Equality Day 2022: महिला समानता दिवस पर जानें हक की बात, महिलाओं को मिले हैं ये खास अधिकार

  • August 25, 2022


    नई दिल्ली। दुनिया भर में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने और उन्हें समाज के हर क्षेत्र में पुरुषों के समान अधिकार व सम्मान दिलाने के उद्देश्य से हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। महिला समानता दिवस नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है। इस मौके पर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत अमेरिका में हुई लेकिन अब भारत समेत कई देश महिला समानता दिवस को मनाते हैं।

    भारत पुरुष प्रधान देश है, जहां महिलाओं को मर्दो के बराबर दर्जा देने के लिए कुछ अधिकार मिले हैं। भारतीय महिलाओं की स्थिति दुनिया के कुछ देशों की तुलना में काफी बेहतर है। वर्तमान में भारतीय महिलाएं शिक्षा, कार्यालय का कामकाज और देश की सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। भारत के कानून और संविधान ने महिलाओं को कुछ अधिकार दिए हैं जो उन्हें सशक्त बनाते हैं।

    भारत में महिला अधिकार

    1. समान वेतन अधिकार- इस कानून के तहत आय या मेहनताना देने में लिंग का भेदभाव नहीं किया जा सकता। यानी किसी भी कामकाजी महिला को उस पद पर कार्यरत पुरुष के बराबर वेतन लेने का अधिकार है। महिला-पुरुष के बीच सैलरी का भेदभाव नहीं किया जाएगा।


    2. मातृत्व लाभ कानून- 1961 में लागू इस एक्ट के तहत कर कामकाजी महिला के माँ बनने की स्थिति में कार्यालय से 6 माह की छुट्टी लेने का अधिकार है। मैटरनिटी लीव या गर्भावस्था के दौरान छुट्टी लेने पर कंपनी महिला कर्मचारी के वेतन में कोई कटौती नहीं कर सकती। कामकाजी गर्भवती महिला को नौकरी से भी नहीं निकाला जाएगा।

    3. संपत्ति का अधिकार- भारत में बेटों को पिता और परिवार का कुल वंश माना जाता है। हालांकि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पिता की संपत्ति या पुस्तैनी संपत्ति पर बेटे और बेटी दोनों का समानता का अधिकार है।

    4. रात में महिला की गिरफ्तारी नहीं- महिलाओं को सुरक्षा को लेकर कानून में प्रावधान है कि किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हालांकि फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के आदेश पर गिफ्तारी सम्भव है। इसके अलावा महिला से पूछताछ के दौरान महिला कांस्टेबल का होना जरूरी है।

    5. पहचान जाहिर न करने का अधिकार- कानून महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार देता है। इसके तहत अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार है तो वह अपनी पहचान गोपनीय रख सकती है और अकेले जिला मजिस्ट्रेट व किसी महिला पुलिस अधिकारी के मौजूदगी में बयान दर्ज करा सकती है।

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