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जानें उस दौड़ के बारे में जिसने मिल्खा सिंह को बनाया Flying Sikh

June 19, 2021

नई दिल्ली। महान भारतीय ऐथलीट मिल्खा सिंह (Indian athlete Milkha Singh)का शुक्रवार देर रात चंडीगढ़ निधन(Death) हो गया। वह कोविड(corona) संबंधित परेशानियों से जूझ रहे थे। मिल्खा सिंह( Milkha Singh) की उम्र 91 साल थी। इस फर्राटा धावक को ‘फ्लाइंग सिख’ (Flying Sikh) कहा जाता था। बेशक, यह नाम उन्हें उनकी रफ्तार की वजह से मिला था लेकिन इसके पीछे का घटनाक्रम भी जानने योग्य है।
मिल्खा सिंह( Milkha Singh) को ‘फ्लाइंग सिख’ (Flying Sikh) कहा जाता था। यह तो सब जानते हैं लेकिन आखिर उन्हें यह नाम क्यों और कैसे मिला इसके पीछे की एक कहानी है। और यह कहानी जुड़ती है पाकिस्तान से।
1958 के कॉमनवेल्थ गेम्स में मिल्खा सिंह( Milkha Singh) ने गोल्ड मेडल जीता था। यह आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल था। हालांकि इसके बाद 1960 के रोम ओलिंपिक में मिल्खा सिंह( Milkha Singh) पदक से चूक गए थे। इस हार का उनके मन में गम था।



इसके बाद साल 1960 में ही उन्हें पाकिस्तान के इंटरनैशनल ऐथलीट कंपीटीशन (Pakistan’s International Athlete Competition) में न्योता मिला। मिल्खा के मन में बंटवारे का दर्द था। वह पाकिस्तान जाना नहीं चाहते थे। हालांकि बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समझाने पर उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला किया।
पाकिस्तान में उस समय अब्दुल खालिक का जोर था। खालिक वहां के सबसे तेज धावक थे। दोनों के बीच दौड़ हुई। मिल्खा ने खालिक को हरा दिया। पूरा स्टेडियम अपने हीरो का जोश बढ़ा रहा था लेकिन मिल्खा की रफ्तार के सामने खालिक टिक नहीं पाए। मिल्खा की जीत के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने ‘फ्लाइंग सिख’ का नाम दिया।
अब्दुल खालिक को हराने के बाद अयूब खान मिल्खा सिंह से कहा था, ‘आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो। इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं।’ इसके बाद ही मिल्खा सिंह को ‘द फ्लाइंग सिख’ कहा जाने लगा।

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