कोलकाता। जब भी बॉडी बिल्डिंग (body building) की बात आती है तो हम अक्सर आर्नोल्ड जैसे विदेशी बॉडी बिल्डरों की बात ही करते हैं। हमारे दिमाग में कभी भी भारत के किसी व्यक्ति का खयाल आखिर क्यों नहीं आता? ऐसे ही भारतीय बॉडी बिल्डर (body building) के बारे में हम आपको आज बताने जा रहे हैं जिनका लोहा पूरे विश्व ने माना। मनोहर ऐच त्रऋ (Manohar Aich) नाम के भारत के इस बॉडी बिल्डर की बॉडी बुढ़ापे तक ऐसी थी जैसे कि वह कोई 25 साल के नौजवान हों!
मनोहर ऐच ने 39 साल की उम्र में बॉडी बिल्डिंग की शुरुआत की थी और उसके बाद मिस्टर यूनिवर्स प्रतियोगिता जीती थी.1951 में वह मिस्टर यूनिवर्स प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रहे लेकिन 1952 में शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने मिस्टर यूनिवर्स का खिताब जीता था. उन्होंने 1951 (नई दिल्ली), 1954 (मनीला) और 1958 (टोक्यो) में आयोजित एशियन गेम्स में तीन स्वर्ण पदक जीते। उस समय तक वह बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटिशन में भाग लेते रहे और उन्हें जीतते रहे। मनोहर ऐच ने अपना आखिरी बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटिशन 2003 में खेला था और उस समय उनकी उम्र 90 साल थी।
मनोहर की प्रैक्टिस बहुत अच्छे से चल रही थी कि तभी 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत हो गई। इस कड़ी में ही मनोहर और एक ब्रिटिश अफसर की नोक-झोंक हो गई जिसके चलते मनोहर ने उस अफसर के एक तमाचा जड़ दिया!
इसका परिणाम यह रहा कि मनोहर को तुरंत ही नौकरी से निकाल जेल भेज दिया गया मगर यही उनकी जिंदगी का असली टर्निंग पॉइंट बनके आया. जेल जाने के बाद उनके पास समय ही समय था. उन्होंने वहीं पर अपना खुद का जिम खोल लिया और प्रैक्टिस शुरू कर दी. जेल प्रशासन ने भी उनकी लगन देखी और उनकी मदद करते रहे। वहीं पर उन्होंने सोच लिया था कि खुद को इंटरनेशनल लेवल तक लेकर जाएँगे. आजादी के बाद मनोहर जेल से निकले और उन्होंने नारियल बेचना शुरू किया और साथ में बॉडी बिल्डिंग शो भी करते रहे ताकि वह कुछ पैसे इकठ्ठा कर सकें।
विदिति हो कि पूर्व मिस्टर यूनिवर्स और मशहूर बॉडी बिल्डर मनोहर ऐच ने 1952 में मिस्टर यूनिवर्स का खिताब जीता था। उन्हें उनकी चार फुट, 11 इंच लंबाई के कारण ‘पॉकेट हरक्यूलिस’ नाम दिया गया था।
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