- जयस के कारण बढ़ सकती है कांग्रेस-भाजपा की मुश्किल
भोपाल। मध्यप्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा 2023 के चुनाव में अब तीसरे मोर्चे की आहट देखने को मिल रही है। खबर है कि जयस यानी जय युवा आदिवासी संगठन इस बार ओबीसी संगठनों के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी में है। इससे प्रदेश की राजनीती में मौजूदा पार्टियों पर खासा असर पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 33 सीटें ऐसी हैं जिन पर आदिवासी वोटर्स की संख्या 50 हजार से लेकर एक लाख है। ऐसी प्रदेश की 80 सीटों पर जयस इस बार अकेले चुनाव लडऩे का मन बना रही है। इसके साथ ही वो इन सीटों पर पिछड़ा वर्ग की कुछ जातियों को साधने में भी जुट गई है, जिससे वह इन सीटों पर अपनी जीत दर्ज करा सके। प्रदेश की 33 सीटें ऐसी हैं जो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हैं, लेकिन उन पर आदिवासी बाहुल्य है। फिर पिछड़ा वर्ग का वोट भी निर्णायक भूमिका में है। ऐसे में इन 33 सीटों पर जयस इस बार वोटर्स को साधने में जुट गई है।
जयस ने बढ़ाई चिंता तीसरे मोर्चे की आहट के साथ ही दोनों सियासी दल भी अपने आप को पिछड़ा वर्ग हितेषी बताने में जुट गए हैं। मध्य प्रदेश बीजेपी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाह का कहना है मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने अपने 18 साल के कार्यकाल में पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए बेहतरीन काम किया है। ऐसे में उन्हें पूरी उम्मीद है कि कोई भी तीसरा मोर्चा पिछड़ा वर्ग को बहकाने की कोशिश करे, लेकिन वह उनके बहकावे में नहीं आएंगे। कांग्रेस के प्रदेश मीडिया उपाध्यक्ष अजय यादव का कहना है पिछले 18 साल में बीजेपी सरकार में आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के वोटर्स का शोषण हुआ है। ऐसे में अब हर वर्ग कांग्रेस के साथ खड़ा नजर आ रहा है, उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले चुनाव में इन वर्गों का कांग्रेस को समर्थन मिलेगा। जयस संगठन प्रमुख तौर पर आदिवासी बाहुल्य इलाकों में काम करता है। साल 2018 के चुनाव में इस संगठन ने कांग्रेस का समर्थन किया था। यही कारण है कि आदिवासी बहुल इलाकों में कांग्रेस को बीजेपी से अधिक सीटें मिली थीं। ऐसे में यदि इस बार जयस कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ता है तो इसका सीधा असर कांग्रेस की सीटों पर भी पड़ सकता है।