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अब किश्तवाड़ एयरबेस की रेंज में होगी एलओसी-एलएसी

September 23, 2020

नई दिल्ली । पाकिस्तान और चीन की सीमा को अधिकतम 300 किमी. की हवाई दूरी की रेंज में रखने के लिए भारतीय वायुसेना किश्तवाड़ में अपने नया एयरबेस बनाने जा रही है। चीन की लद्दाख सीमा से सटे किश्तवाड़ में सेना के इस नए एयरबेस का इस्तेमाल एलओसी और एलएसी पर हेलीकाप्टरों से हवाई हमलों के लिए किये जाने की योजना है। यहां से उड़ान भरते ही भारतीय वायु सेना के अपाचे और एलसीएच लड़ाकू हेलीकाप्टर महज दो से तीन मिनट में दोनों देशों की सीमाओं के प्रमुख हिस्सों में मिशन पूरा करने पहुंच जाएंगे।

किश्तवाड़ में मौजूद सेना की हवाई पट्टी को विकसित कर हवाई अड्डा बनाये जाने के लिए जम्मू-कश्मीर की सरकार और भारतीय सेना के बीच करार हो चुका है। किश्तवाड़ में एयरस्ट्रिप बनाने के सहमति पत्र पर 9 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स के ब्रिगेडियर विक्रम भान व सिविल एविएशन के कमिश्नर एस कटोच ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए।भारतीय सेना की तरफ से उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी, 16 कोर के जीओसी, लेफ्टिनेंट जनरल हर्ष गुप्ता, कर्नल राजेश रजनीश गिरी, कर्नल एके पंवर मौजूद रहे। सेना के सूत्रों का कहना है कि लद्दाख के डीबीओ-डेमचोक धुरी के बीच किश्तवाड़ एयरबेस वायुसेना के पठानकोट जैसा बड़ा आधार होगा।

किश्तवाड़ एयरपोर्ट सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण होगा। यहां से पूर्वी लद्दाख बहुत नजदीक है, इसलिए चीन सीमा तक सैन्य साजो-सामान की पहुंच किश्तवाड़ से आसान हो जाएगी। किश्तवाड़ हेलीपैड से पाकिस्तान सीमा (एलओसी) की अधिकतम दूरी 290 किमी. और चीन की सीमा (एलएसी) की अधिकतम दूरी 220 होगी। यानी कि दोनों सीमाओं पर वायुसेना के अमेरिकी अपाचे और एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) महज दो से तीन मिनट में पहुंचकर किसी भी मिशन को अंजाम दे सकते हैं। अमेरिकी अपाचे की लड़ाकू रेंज 260 नॉटिकल मील (300 मील या 480 किमी.) है। इसी तरह एचएएल ने अब तक हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) हेलीकॉप्टर को विकसित किया है। इसे मल्टी-रोल अटैक हेलीकॉप्टर के रूप में डिजाइन किया गया है। इसकी अधिकतम गति हथियारों के साथ 550 किमी. और लड़ाकू रेंज 300 नॉटिकल मील (340 मील) है।

जम्मू एयरपोर्ट से 210 किमी. की दूरी पर किश्तवाड़ जिले में जम्मू संभाग का यह दूसरा हवाई अड्डा होगा। यह योजना 2018 से लंबित थी लेकिन इसके मूर्त रूप लेने से आम लोगों को सुविधा मिलने के साथ ही सेना को भी सामरिक दृष्टि से भी लाभ होगा। सर्दी के मौसम में सड़क मार्ग बंद होने पर हवाई सफर लोगों के लिए वरदान साबित होगा। किश्तवाड़ में मौजूदा हेलीकॉप्टर पट्टी विकसित कर उसे विमान की लैंडिंग के लिए तैयार किया जाएगा। किश्तवाड़ में हवाई अड्डा बनने से सुगम यात्रा के साथ स्थानीय पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इसी तरह उधमपुर एयरफोर्स स्टेशन में भी नागरिक उड्डयन सेवाएं शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और डिफेंस अथॉरिटी से अनुमति मिलना बाकी है। मंजूरी मिलने के बाद उधमपुर में नागरिक विमानों को भी उतारना संभव हो सकेगा।

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