मुंबई। कवि-गीतकार गुलजार (Gulzar) ने अपनी नई किताब में भारतीय सिनेमा जगत (Indian cinema) की दिग्गज हस्ती किशोर कुमार (Kishore Kumar) के बारे में कई रोचक बातों को साझा किया है. गुलजार की किताब ‘एक्चुअली… आई मेट देम: ए मेमॉयर’ (Actually … I Met Them: A Memoir) में बताया गया है कि अपने मनमौजी स्वभाव के लिए चर्चाओं में रहने वाले किशोर कुमार(Kishore Kumar) एक फिल्म की शूटिंग से पहले गंजे हो गए थे.
किताब में कहा गया है कि फिल्म ‘आनंद'(Anand) में नायक की भूमिका निभाने से बचने के लिए ‘पूरी तरह से गंजे’ होने से, लेकर अपनी अलमारी के पीछे एक ‘गुप्त सीढ़ी’ से गायब होने तक वह निर्माताओं को परेशान करने के लिए कई तरकीबें निकाल लेते थे. गुलजार (Gulzar) के अनुसार, अभिनेता राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के बजाय किशोर कुमार(Kishore Kumar) शुरू में 1971 में आई फिल्म ‘आनंद’ में एक्टिंग करने के लिए तैयार थे. लेकिन शूटिंग से कुछ दिन पहले किशोर कुमार ने फिल्म में अपने रूप पर चर्चा के लिए एक बैठक में पूरी तरह से गंजे होकर सबको चौंका दिया था.
फिल्म ‘आनंद’ का किस्सा बताते हुए गुलजार लिखते हैं, ‘हम सब चौंक गए! , किशोर दा नाचते और गाते हुए ऑफिस के चारों ओर गये, ‘अब आप क्या करेंगे, ऋषि?’ यहां वे फिल्म के डायरेक्टर हृषिकेश मुखर्जी से बात कर रहे थे. कुमार की सुपरहिट फिल्म के संवाद लिखने वाले गुलजार ने लिखा, ‘इसके बाद राजेश खन्ना को बहुत ही कम समय में इस भूमिका के लिए तैयार किया गया. शायद किशोर दा कभी भी इस किरदार को निभाना नहीं चाहते थे.’ हालांकि इस फिल्म ने कई पुरस्कार भी जीते, जिसमें 1972 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर पुरस्कार (Filmfare Award) भी शामिल है. इस किताब को पब्लिकेशन ग्रुप ‘पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया’ ने प्रकाशित किया है. इसमें गुलजार ने लिखा, किशोर कुमार की इन शरारतों का शिकार सिर्फ डायरेक्टर ही नहीं बल्कि कई प्रोड्यूसर भी थे. वास्तव में, किशोर कुमार की पसंदीदा चीजों में से एक थी कि वे अपने प्रोड्यूसर को संकट में डालते रहते थे.’ अपनी किताब में गुलजार लिखते हैं कि ‘एक बार एक प्रोड्यूसर उनके घर पर मुलाकात करने गए लेकिन किशोर कुमार उनसे बात करने के मूड में नहीं थे तो उन्होंने ‘बस अपनी अलमारी खोली, अंदर कदम रखा और गायब हो गए.’ एक अन्य घटना बताते हुए उन्होंने लिखा कि किशोर कुमार ने चाय की मांग के लिए ‘भरोसा’ नामक एक फिल्म के गाने की रिकॉर्डिंग रोक दी और काफी इंतजार के बाद, जब चाय आखिरकार आ गई तो वह बिना एक घूंट लिए रिकॉर्डिंग करने के लिए आगे बढ़ गए. गुलजार ने स्पष्ट किया कि गायक के लिए चाय महत्वपूर्ण नहीं थी. लेकिन उन्होंने ये सारा नाटक प्रोड्यूसर के पैसे खर्च कराने और सभी संगीतकारों और कर्मचारियों के लिए चाय मंगवाने’ के लिए किया था. किशोर कुमार जैसे महान गायक को अपना दोस्त बताते हुए 87 वर्षीय गुलजार साहब ने स्वीकार किया कि किशोर कुमार ऐसे व्यक्ति थे जिनके साथ आप बहुत लंबे समय तक नाराज या परेशान नहीं रह सकते थे.