• img-fluid

    हरियाणा की राजनीति के किंग, 5 बार विधायक और 3 बार रहे सांसद, अधूरा रहा CM बनने का ख्वाब, हुड्डा की जीत की ली थी गारंटी

  • August 29, 2024

    नई दिल्ली। हरियाणा (Haryana) के जाट बहुल इलाके जींद और आसपास के हिस्से को बांगर बेल्ट कहा जाता है। यहां किसानों की आबादी खासी है। जो कभी सर छोटूराम की कर्मभूमि रही है। इस इलाके में चौ. बीरेंद्र सिंह को बड़ा नेता माना जाता है। जो छोटूराम के नाती हैं। बीरेंद्र 50 साल से राजनीति (Politics) में हैं। जिनके संबंध लगभग हर पार्टी के नेता से है। बीरेंद्र सिंह को हरियाणा की सियासत में ट्रेजेडी किंग कहा जाता है। 5 बार विधायक बने। 3 बार MP रहे।

    लेकिन कभी भी CM बनने का ख्वाब पूरा नहीं कर सके। कई बार अलग-अलग मंचों पर उनकी टीस आज भी उभर जाती है। बीरेंद्र सिंह की छवि साफ है। उनको मुंह पर बोलने वाला नेता माना जाता है। कहा जाता है कि वे किसी को झांसे में नहीं रखते। चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी। वे जिस भी पार्टी में रहे, अपनी सरकारों को भी आईना दिखाने से नहीं चूके। बीरेंद्र सिंह 42 साल कांग्रेस में रहे। 2014 में बीजेपी में गए थे।


    मोदी की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। बाद में उनके बेटे बृजेंद्र सिंह ने IAS की नौकरी छोड़ 2019 में हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ा था। जिसमें उनकी जीत हुई। बीरेंद्र के संबंध ओपी चौटाला, भूपेंद्र हुड्डा, देवीलाल, भजनलाल और बंसीलाल जैसे नेताओं के साथ रहे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनकी बुआ के लड़के हैं। जिनको वे भूप्पी बोलते हैं। बीरेंद्र सिंह को गांधी परिवार के नजदीकी माना जाता है। जब वे बीजेपी में गए तो शर्त रखी थी कि इस परिवार के खिलाफ नहीं बोलेंगे।

    कांग्रेस में जाने के बाद भी बीरेंद्र ने अपने कॉलेज से राजीव गांधी की मूर्ति नहीं हटवाई। 1977 में जनता पार्टी की लहर के बाद भी बीरेंद्र उचाना से जीत गए। ये उनका पहला चुनाव था। उन्होंने लोकदल प्रत्याशी रणबीर चहल को हराया था। भले ही खुद सीएम नहीं बन पाए। लेकिन उनका एक किस्सा हुड्डा से जुड़ा है। 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीरेंद्र कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष थे। हुड्डा उभरते नेता थे। बीरेंद्र ने राजीव गांधी से उनकी सीधी पैरवी की और रोहतक से टिकट दिलवाया। हाईकमान से कहा था कि वे उनकी जीत की गारंटी लेते हैं। हुड्डा 30 हजार से भी अधिक वोटों से जीते। 1991 में कांग्रेस को बहुमत मिला था। कहा जाता था कि बीरेंद्र का सीएम बनना तय था। लेकिन तभी राजीव गांधी की हत्या ने सबको चौंका दिया। जिसके बाद उनकी जगह भजनलाल सीएम बन गए थे।

    2009 की मनमोहन सरकार में भी उनको मंत्री बनाया जाना था। लेकिन ऐन मौके पर नाम कट गया। शपथ लेने के लिए उन्होंने नया सूट भी सिलवाया था। बीरेंद्र उचाना से 1977, 1982, 1991, 1996 और 2005 में एमएलए बन चुके हैं। कई बार हरियाणा के मंत्री भी रहे हैं। 1984 में हिसार से ओमप्रकाश चौटाला को हराकर पहली बार सांसद बने थे। 2010 में कांग्रेस ने उनको पहली बार राज्यसभा भेजा।

    Share:

    MP: आदिवासी महिला के साथ मुस्लिम समुदाय के युवक ने किया दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार

    Thu Aug 29 , 2024
    नरसिंहपुर: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के नरसिंहपुर (Narsinghpur) में एक आदिवासी महिला के साथ मुस्लिम समुदाय के एक युवक (youth from muslim community) ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया है. यह घटना डोंगरगांव थाना क्षेत्र के सिलहैटी गांव में जन्माष्टमी के अवसर पर हुई, जब पीड़ित महिला अपने मुंहबोले भाई को राखी बांधने आई थी. […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved