भोपाल। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर मांग किया है कि विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने से पहले प्रदेश के हजारों अनियमित कर्मचारियों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की जाए। कर्मचारियों के महंगाई भत्ता की एरियर राशि का भुगतान किया जाए।
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि आज प्रदेश का हर नागरिक 47000 के कर्ज में डूबा हुआ है। लेकिन राज्य सरकार ने वेतन संशोधन विधेयक में मुख्यमंत्री का वेतन 135000 से बढ़ाकर 205000, मंत्री का वेतन 130000 से बढ़ाकर 190000, संसदीय सचिव का वेतन 121000 से बढ़ाकर 175000, विधानसभा अध्यक्ष का वेतन 132000 से बढ़ाकर 195000, विधानसभा उपाध्यक्ष का वेतन 128000 से बढ़ाकर 180000 नेता, प्रतिपक्ष का वेतन 130000 से बढ़ाकर 190000 तथा विधायक का वेतन 95000 से बढ़ाकर 160000 करने का निर्णय लिया है। पूर्व विधायकों के पेंशन एवं भत्तों में भी बढ़ोतरी करने का निर्णय सरकार ले रही है। लेकिन प्रदेश के अनियमित संवर्ग के स्थाई कर्मियों संविदा कर्मचारियों दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित वेतनमान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी नहीं दे रही है।
कर्मचारियों की मांगों पर विचार नहीं
पांडे ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों का एक जुलाई 2019 से महंगाई भत्ते का बकाया एरियर 1124 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं कर रही है। कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ सरकार नहीं दे रही है। स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दे रही है। सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा उषा कार्यकर्ताओं के वेतन भत्तों में वृद्धि नहीं कर रही है। जिसके लिए कर्मचारी वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों को बिना संघर्ष के ही सरकार सौगात दे रही है। कर्मचारियों ने सरकार से मांग की है कि कर्मचारियों के वेतन भत्तों में भी वृद्धि की जाए, पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए जिससे प्रदेश की 8 करोड़ जनता में अच्छा संदेश जाए और सरकार कर्मचारी हितैषी कहलाए।
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