सुपर स्पेशलिटी में 5 मरीजों पर चल रही काउंसलिंग
वॉटर प्यूरीफायर, डायलेसिस की व्यवस्था चाक चौबंद, अब मरीजों की जांच प्रक्रिया शुरू
इंदौर। महंगे इलाज और डर के चलते किडनी ट्रांसप्लांट (kidney transplant) से दूरी बना रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। सभी विभागों से ट्रांसप्लांट की अनुमति मिलने के बाद डॉक्टर (Doctor) मरीजों की काउंसलिंग करने के साथ-साथ जरूरी जांच भी करवा रहे हैं। हालांकि सरकारी खर्चे से ट्रांसप्लांट (Transplant) करवाने वाले मरीजों को अभी 2 महीने और इंतजार करना होगा।
किडनी-लीवर ट्रांसप्लांट (kidney-liver transplant) जैसे बड़े उपचार के लिए अब मरीजों को सरकारी मदद भी मिल सकेगी। शहर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मरीजों को प्रायवेट हॉस्पिटल से बेहतर उपचार मिलेगा। आयुष्मान योजना के तहत सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी अब किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट बनकर तैयार हो गई है। डायलेसिस वॉटर प्यूरीफायर से लेकर अस्पताल प्रबंधन ने पूरी यूनिट को हाईजीनिक तरीके से तैयार करवाया है। हॉस्पिटल प्रशासक डॉ. सुमित शुक्ला (Doctor Sumit Shukla) एवं उनकी टीम इस काम में जुटी हुई है। नेफ्रोलॉजी की सहायक प्रोफेसर डॉ. ईशा तिवारी अरोरा ने बताया कि अभी विभाग के पास चार से पांच मरीज किडनी प्रत्यारोपण के लिए चिह्नित किए गए हैं, जिनकी जरूरी जांचों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। परिवार को ही किडनी दानदाता के रूप में चिह्नांकित किया गया है। डॉ. तिवारी ने बताया कि इन मरीजों की ट्रांसप्लांट के लिए काउंसलिंग की गई है। आमतौर पर ट्रांसप्लांट पैसे वालों का इलाज है, ऐसी भ्रांति है, जिसके चलते ट्रांसप्लांट के लिए मरीज आसानी से आगे नहीं आ रहे थे इसलिए डायलेसिस के लिए आ रहे मरीजों की काउंसलिंग की जा चुकी है। अब प्रत्यारोपण से पहले कुछ जांच जरूरी है, वह की जा रही है। मरीजों को पहले चरण का उपचार प्रदान दिया जा रहा है। इनमें से 50 से कम उम्र वाले करीब 20 मरीज हैं।
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