एक मरीज सुपर स्पेशलिटी में एडमिट, किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले सभी मरीज 25 से 40 उम्र के करीब
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 4 मरीजों ने कराया रजिस्ट्रेशन
इंदौर। प्रदीप मिश्रा
पहली बार इंदौर के किसी सरकारी अस्पताल (Government Hospital) में किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) होने जा रहा है। इसके लिए 4 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन करा लिए हैं। अब अस्पताल प्रशासन को मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट से सम्बंधित शासन से अनुमति का इंतजार है। यह सभी किडनी ट्रांसप्लांट लगभग 275 करोड़ रुपये की लागत से बने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में किए जाएंगे।
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (Super Specialty Hospital) के नेफ्रोलॉनिस्ट डॉक्टर राकेश कुमार के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पंजीयन कराने वाले सभी चारों मरीज दूसरे जिलों के हैं। इन सभी मरीजों की उम्र 25 से 40 साल के अंदर है। इनमें से एक मरीज को अचानक कुछ अंदरूनी समस्या के चलते अभी एडमिट किया है। बाकी सभी मरीजों और उनके परिजनों, यानि जो किडनी दे रहे हैं, सभी की मेडिकल जांचे की जा रही हैं। इसके बाद इन सभी मरीजों को स्थानीय प्रशासन से लेकर शासन से अनुमति मिलते ही ट्रांसप्लांट की कवायद शुरू कर दी जाएगी। इन चारों मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट और किडनी देने वालों का इलाज आयुष्मान योजना के अंतर्गत किया जाएगा। अधीक्षक डॉक्टर सुमित के अनुसार एक किडनी ट्रांसप्लांट में लगभग 5 लाख रुपए का खर्च आता है, क्योंकि इसमे एक साथ दो लोगो का मेजर ऑपरेशन और कई दिनों तक इलाज करना पड़ता है। इंदौर शहर में लगभग 38 साल पहले किडनी ट्रांसप्लांट निजी अस्पताल में शुरू हो गया था, मगर यह पहली बार है कि शहर के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट होने जा रहा है। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को लगभग ढाई माह पहले ही किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति मिली है। इसके पीछे मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर संजय दीक्षित और तत्कालीन संभागायुक्त डॉक्टर पवन शर्मा का विशेष योगदान शामिल है।
2 प्रकार से होता है ट्रांसप्लांट
किडनी ट्रांसप्लांट 2 प्रकार के होते हैं। एक तो जब परिवार का कोई जीवित सदस्य स्वेच्छा से किडनी देने को तैयार हो। इसके अलावा दुर्घटना में ब्रेनडेड मृत व्यक्ति के परिजनों की सहमति से किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है। दोनों प्रकार के ट्रांसप्लांटेशन में शासन, स्थानीय प्रशासन की अनुमति आवश्यक होती है। किडनी ट्रांसप्लांट के पहले मरीज और किडनी देने वाले को सघन मेडिकल परीक्षण से गुजरना पड़ता है। भर्ती होने से लेकर ऑपरेशन यानि ट्रांसप्लांटेशन तक लगभग 20 प्रकार की मेडिकल जांचे होती हैं। इतना ही नहीं ट्रांसप्लांट होने के बाद 6 माह तक नियमित जांच और इलाज जारी रहता है। शहर में अभीतक निजी हॉस्पिटल में ही किडनी ट्रांस प्लांट होता आ रहा है सबसे सबसे पहले टी चौइथराम राम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में 38 साल पहले शुरू हुआ था। अब शहर में लगभग 8 निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट होने लगा है। यह शहर के लिए गर्व की बात है कि 2023 से यानी इस साल से अब सरकारी हॉस्पिटल में भी ट्रांसप्लांट शुरू होने जा रहा है
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