मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के नतीजे सभी को हैरान करने वाले आए हैं. ऐसे में जीतने और हारने वाले उम्मीदवार (Candidate) तरह-तरह के राज खोलने लगे हैं. इसमें बीड (Beed) संसदीय सीट का नाम मुख्य रूप से लिया जा रहा है. हाल ही में महाराष्ट्र में बीड लोकसभा का परिणाम घोषित किया गया. यहां से शरद पवार (Sharad Pawar) गुट के नवनिर्वाचित सांसद (MP) बजरंग सोनवणे (Bajrang Sonawane) ने सनसनीखेज दावा किया है.
राष्ट्रवादी शरद पवार गुट के सांसद बजरंग सोनवणे ने कहा है कि उनकी जीत में बीड जिले के संरक्षक मंत्री धनंजय मुंडे और विधायक सुरेश दास की भूमिका थी. धनंजय मुंडे एनसीपी प्रमुख अजित पवार के खास हैं. इससे बीड के राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है. सोनवणे ने कहा कि उनकी जीत का श्रेय बीड जिले के लोगों को जाता है. हालांकि, मैं बीड जिले के दो लोगों को विशेष धन्यवाद देना चाहता हूं. मेरी जीत में बीड जिले के संरक्षक मंत्री धनंजय मुंडे का भी योगदान है. बजरंग सोनवणे ने कहा है कि आदरणीय सुरेश धास से भी बड़ा सहयोग मिला.
पंकजा मुंडे की हार
बीड से भाजपा की ओर पंकजा मुंडे उम्मीदवार थीं. वह दिवंगत केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. बीते 2019 में चुनाव में यहां से उनकी बहन प्रीतम मुंडे विजयी हुई थीं. इस चुनाव में उन्हें उम्मीद थी कि गठबंधन में होने की वजह से उनके चचेरे भाई और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे का साथ मिलेगा.
कैसी रही जीत?
एनसीपी में फूट के बाद बजरंग सोनवणे ने अजित पवार के गुट का समर्थन किया था. लोकसभा चुनाव से पहले वह अजित पवार गुट में थे. लेकिन जैसे ही चुनाव की घोषणा हुई, वह शरद पवार के साथ आ गए. बीड की बैठक में अजित पवार ने उनकी कड़ी आलोचना की थी. अनुमान लगाया जा रहा था कि बीड की लड़ाई एकतरफा होगी. उन्होंने बजरंग सोनावणे को गलत ठहराया था. बहुत कम समय बचा था तो उन्होंने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया. शरद पवार गुट और महाविकास अघाड़ी ने उन्हें मजबूत ताकत दी. देखा गया कि मराठा आरक्षण मुद्दे से उन्हें काफी फायदा हुआ.
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