नई दिल्ली: झारखंड की हेमंत सोरेन कैबिनेट ने 14 सितंबर को एक बड़ा फैसला लिया है. कैबिनेट ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को मंजूरी देने के साथ-साथ ओबीसी को 27% आरक्षण देने के वादे पर मुहर लगा दी है. झारखंड में 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार से पहले भी लगाई गई थी. झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी इस नीति को लेकर आए थे.
तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने 1932 खतियान को आधार बनाकर स्थानीयता लागू की थी, इसके साथ ही उन्होंने 73% आरक्षण का प्रावधान भी लागू किया था. इन दोनों ही प्रावधानों को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. बाबूलाल मरांडी ने 1932 के खतियान को घोषित करने के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना को आधार बनाया था. तत्कालीन जल संसाधन अधिकारी मुख्तार सिंह के हस्ताक्षर से जारी आदेश को आधार बनाया गया था.
1932 के खातियान और आरक्षण पर कोर्ट का रुख
1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति तय करने और 50 फ़ीसदी से अधिक आरक्षण दिए जाने के झारखंड सरकार के निर्णय को हाईकोर्ट ने साल 2003 में ही असंवैधानिक करार दे दिया था. हाई कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने कहा था कि सरकार की यह नीति आम लोगों के हित में नहीं है, इस नीति से लंबे समय से झारखंड में रह रहे लोग स्थानीय होने के दायरे से बाहर हो जाएंगे. कर्ट ने कहा थआ कि लोगों को स्थानीय होने के दायरे से बाहर किया जाना उनके साथ भेदभाव पूर्ण होगा.
रघुवर दास ने 1985 को बनाया था आधार…
झारखंड की तत्कालीन बीजेपी सरकार ने 1932 के स्थान पर 1985 को आधार बनाकर स्थानीय नीति लागू कर दी थी. सरकार ने स्पष्ट किया था कि 1985 या उससे पहले से रहने वाले लोग झारखंड के निवासी कहलाएंगे और राज्य की सरकारी सेवाओं में उन्ही को स्थानीयता का लाभ मिलेगा.
मुख्यमंत्री सोरेन ने 1932 खतियान को दी मंजूरी
14 सितंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट भवन में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 43 प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई थी. मुख्यमंत्री सोरेन की कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 1932 की खतियान आधारित स्थानीय नीति के साथ-साथ 27 फ़ीसदी ओबीसी आरक्षण को मंजूरी दे दी. बता दें कि 27 फ़ीसदी आरक्षण बढ़ने के बाद राज्य में कुल आरक्षण का प्रतिशत 77 फीसदी हो गया है.
विशेष सत्र बुलाकर होगा विधेयक पारित
1932 के खतियान और 27 फ़ीसदी आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में की जा रही है. इन दोनों विधेयक को विधानसभा में पारित कराने के बाद राज्यपाल के माध्यम से नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा.
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