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    खरगोन की मिर्च को मिलेगी दुनिया में पहचान

  • August 05, 2023

    • प्रदेश में मिर्च का सर्वाधिक रकबा 46556 हैक्टेयर खरगोन जिले में रहा
    • प्रदेश के 46 उद्यानिकी उत्पादों को जीआई टैग दिलाकर ब्रांडिंग की जाएगी
    • जीआई टैग व ब्रांडिंग से किसानों को होगा सीधा लाभ
    इंदौर (Indore)। विकास पर्व के तहत इंदौर संभाग के खरगोन जिले की लाल सुर्ख मिर्च को विशेष उत्पाद का दर्जा मिलने जा रहा है। प्रदेश के विशिष्ट उद्यानिकी 46 उत्पाद में खरगोन जिले की तीखी मिर्च को भी शामिल किया गया है। इसके लिए मिशन मोड में काम चल रहा है। इस वित्तीय वर्ष में जियो टैग की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। प्रदेश में 2023 में सर्वाधिक 46556 हेक्टेयर रकबे में जिले में मिर्च फसल बोई गई। उल्लेखनीय है कि देश की दूसरी व मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी बेडिया मिर्च मंडी खरगोन जिले में स्थापित है। यहां की मिर्च फसल की ब्रांडिंग होने से गुणवत्ता और कारोबार की उम्मीद बढ़ गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के निर्देश के बाद उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में उद्यानिकी उत्पादों की स्थिति का सर्वे कराया। उनमें विशिष्ट पहचान वाले 46 उद्यानिकी उत्पादों को विशिष्ट पहचान देने की दिशा में पहल शुरू की गई है। विभागीय अफसरों का कहना है कि आगामी सीजन में उद्यानिकी उत्पाद जब तैयार हो जाएगा। तब विशिष्ट मापदंडों पर खरा उतरने पर निर्यात करने का अवसर मिलेगा। इसमें अधिक संख्या में किसानों की सहभागिता हो इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं।
    इन उद्यानिकी उत्पादों को मिलेगी पहचान
    मध्यप्रदेश के विशिष्ट उद्यानिकी उत्पाद के अंतर्गत जबलपुर का मटर, गुना का कुम्भराज धनिया, बुरहानपुर का केला, सिवनी का सीताफल, खरगोन की मिर्च, इंदौर का जीरावन, मालवी आलू आदि 46 विशेष उत्पादों को शामिल किया गया है। शासन स्तर से उत्पादों को भौगोलिक पहचान दिलाने की तैयारी की जा रही है। शासन का मानना है कि यहां के उत्पादों को विशेष पहचान मिलने से प्रदेश की समृद्धि का नया मार्ग प्रशस्त होगा।

    विश्व स्तर पर उत्पाद की ब्रांडिंग होगी
    जीआई टैग यानी  “विशिष्ट भौगोलिक पहचान”। जीआई टैग मिलने से फ़सल उत्पाद की ब्रांडिंग होगी। इससे उसे वैश्विक पहचान मिलेगी। बाहरी बिचैलियों का हस्तक्षेप खत्म होगा। किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा। राष्ट्रीय स्तर की बेडिया मिर्च मंडी जिले में है। शासन की इस पहल से यहां के कारोबार में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इस पहल से प्रदेश के साथ जिले की समृद्धि बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
    5 साल में मिर्च का रकबा व उत्पादन
    वर्ष            रकबा         उत्पादन
    2018-19     25369        63423
    2019-20     23280        81480
    2020-21     49052        171682
    2021-22     51350        179725
    2022-23     46556        139668
    (उद्यानिकी विभाग के आंकड़े, मेट्रिक टन में)
    इसी वित्तीय वर्ष में हो जाएगा काम
    उप संचालक उद्यानिकी खरगोन के.के. गिरवाल ने बताया कि मिर्च का रकबा, कृषि अनुसंधान केंद्र के रिसर्च पेपर, इंडस्ट्रीज सहित सारे इनपुट भेजे गए हैं। सरकार के सलाहकार रजनीकांत डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं। 3 माह में प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। मिशन मोड में काम चल रहा है। संभवत इस वित्तीय वर्ष में मिर्च को जीआई टैग मिल जाएगा।

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