नई दिल्ली। कांग्रेस (Congress) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष (Newly elected president) मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) आज पदभार ग्रहण करेंगे। 24 साल बाद बने गैर गांधी अध्यक्ष (non gandhi president) के समारोह में अभी तक अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के साथ पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) भी शामिल होंगी। दीपावली के चलते राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दो दिन स्थगित करने के साथ पार्टी ने नए अध्यक्ष के पदभार ग्रहण समारोह के लिए भी भारत जोड़ो यात्रा को एक दिन आगे बढ़ाया गया है।
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल भी इस समारोह में शामिल होंगे। दिल्ली रवाना होने से पहले रायपुर में बघेल ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। मुझे भी इस अवसर पर उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। इसलिए, मैं दिल्ली जा रहा हूं।
मल्लिकार्जुन खड़गे को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सबसे पुरानी पार्टी को मजबूत करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना होगा। खड़गे के लिए सबसे पहली चुनौती गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की है। ऐसे में आम चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
2023 में कर्नाटक समेत नौ राज्यों में चुनाव
हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भाजपा की मजबूत पकड़ है। ऐसे में यहां के विधानसभा चुनाव खड़गे के लिए पहली चुनौती होंगे। मौजूदा समय में केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है। हिमाचल और गुजरात की परीक्षा के बाद 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें उनका गृह राज्य कर्नाटक भी शामिल है। पार्टी में उनके लिए अनुभवी व युवाओं के बीच संतुलन बनाए रखना भी चुनौती होगा।
चुनावी सफलताओं के आधार पर होगी नेतृत्व क्षमता की परीक्षा
राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई का कहना है कि खड़गे के सामने कई चुनौतियां हैं, क्योंकि उन्हें ‘टीम राहुल गांधी’ के सदस्यों के साथ समन्वय करना होगा, जो एआईसीसी, सीडब्ल्यूसी और अधिकतर राज्यों में प्रमुख पदों पर काबिज हैं। वहीं, राजनीतिक समीक्षक संजय कुमार ने कहा कि पार्टी के लिए कई चुनौतियां हैं और दुर्भाग्य से खड़गे की नेतृत्व करने की क्षमता का परीक्षण कांग्रेस की चुनावी सफलता के आधार पर ही किया जाएगा।
इनसे भी पड़ेगा निपटना
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के राजनीतिक अध्ययन केंद्र में एसोसिएट प्रोफेसर मनिंद्र नाथ ठाकुर ने कहा कि खड़गे और कांग्रेस के सामने तीन मुख्य चुनौतियां हैं। हिंदी भाषी क्षेत्र में समर्थन आधार का पुनर्गठन, एक नया सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक विचार, जिससे लोगों को आकर्षित किया जा सके और संगठनात्मक संरचना में सुधार। खड़गे के समक्ष कई चुनौतियां मौजूद हैं।
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