नई दिल्ली (New Delhi) । ‘वारिस पंजाब दे’ के चीफ अमृतपाल (Amritpal Singh) को ढूंढ़ने के लिए पुलिस और खुफिया एजेंसियों (police and intelligence agencies) ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया लेकिन, अभी तक वह पकड़ में नहीं आ पाया है। उधर, खालिस्तान (Khalistan) समर्थक तत्व विदेशी सरजमीं पर उत्पात मचा रहे हैं। ताजा घटना सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में हुई है। यहां हुई तोड़फोड़ को लेकर भारत (India) ने अमेरिकी राजनयिक के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया। खालिस्तानी समर्थक यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अब अमेरिका में जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
अमेरिकी प्रभारी एलिजाबेथ जोन्स के साथ बैठक के दौरान, विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी सरकार को “राजनयिक प्रतिनिधित्व की रक्षा और सुरक्षित करने के मूल दायित्व” की याद दिलाई और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए “उचित उपायों” के लिए कहा। मंत्रालय ने कहा कि वाशिंगटन में भारतीय दूतावास ने भी “इसी तर्ज पर अमेरिकी विदेश विभाग को अपनी चिंताओं से अवगत कराया”।
एक अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बाद में कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय वाणिज्य दूतावास के खिलाफ हमले और संयुक्त राज्य अमेरिका के भीतर राजनयिक सुविधाओं के खिलाफ किसी भी हमले की निंदा करता है। हम इन सुविधाओं के साथ-साथ उनके भीतर काम करने वाले राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर लेकर सतर्क हैं।
लंदन में तिरंगे का अपमान
खालिस्तान समर्थकों के विरोध प्रदर्शन के दौरान लंदन में भारतीय ध्वज के अपमान का मामला सामने आया। घटना से नाराज भारत ने ब्रिटेन के उप उच्चायुक्त को तलब किया। इस घटना के ठीक बाद अमेरिका में भारतीय दूतावास में तोड़फोड़ हुई। इस पर भी भारत ने कड़ा विरोध जताया है। बताया गया है कि घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस कर्मियों के साथ उनकी झड़प भी हुई।
पंजाब में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के खिलाफ लंदन और सैन फ्रांसिस्को में खालिस्तान समर्थकों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया है। मामले के जानकार लोगों ने कहा है कि भारतीय अधिकारियों को विदेशी जमीन पर खालिस्तानियों के उत्पात में एक जैसे पैटर्न का पता चला है। ये घटनाएं ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूके और यूएस में विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी हैं।
हिंसक प्रदर्शनों के पीछे तीन ग्रुप
वाणिज्य दूतावास ने स्थानीय पुलिस को बर्बरता के लिए जिम्मेदारों की जानकारी हाथ लगी है। वीडियो फुटेज के जरिए इनकी पहचान हुई है। घटनाओं से परिचित लोगों का मानना है कि इसमें तीन ग्रुप का हाथ था। ये हैं- शिरोमणि अकाली दल अमृतसर, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और सिख यूथ अलायंस। खासकर जसजीत सिंह चेला और फ्रीमोंट गुरुद्वारा की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
क्या बोले प्रवासी भारतीय
कैलिफोर्निया में लगभग एक मिलियन भारतीय-अमेरिकियों और भारतीयों का घर है। यूएस और यूके में खालिस्तानियों द्वारा हुई हिंसक घटनाओं को लेकर प्रवासी भारतीयों ने हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। एक बयान में, फाउंडेशन फॉर इंडियन एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (एफआईआईडीएस) ने कहा कि वे लंदन और सैन फ्रांसिस्को में कानून और व्यवस्था की पूर्ण विफलता से “हैरान” हैं, जहां “कुछ कट्टरपंथी अलगाववादियों ने भारतीय मिशनों पर हमला किया”।
बयान में कहा, “यह देखना अत्यंत चिंताजनक है कि यूके और संयुक्त राज्य अमेरिका राजनयिक मिशनों की रक्षा के लिए वियना कन्वेंशन के अनुसार प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल हो रहे हैं। हम डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस), एफबीआई के साथ-साथ सीआईए जैसे कानून और व्यवस्था संस्थानों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करेंगे कि आतंकवाद और कट्टरवाद को संयुक्त राज्य अमेरिका में कोई जगह और समर्थन न मिले।
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी गतिविधियां
हाल के सप्ताहों में, भारत ने खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियों को लेकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया है। जिसमें तथाकथित “खालिस्तान जनमत संग्रह” शामिल है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज के साथ संयुक्त मीडिया बातचीत में इस मामले को सार्वजनिक रूप से उठाया था।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved