ओटोवा (ottowa)। कनाडा में खालिस्तान (khalistan in canada) की सक्रियता को लेकर भारत चिंतित है। यही नहीं इस मामले में जस्टिन ट्रूडो सरकार (Justin Trudeau government) के ऐक्शन न लेने की वजह से दोनों देशों में तनाव भी पैदा हुआ है। इस बीच एक और खबर ने एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। कनाडा के सरे स्थित एक गुरुद्वारे में खालिस्तानी अलगाववादियों और मणिपुर के आदिवासी संगठन से जुड़े लोगों की मुलाकात हुई है। इसे लेकर एजेंसियां सतर्क हैं और दोनों पर नजर रखी जा रही है। नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन के कनाडा चैप्टर के प्रेसिडेंट लेइन गांगटे ने इस आयोजन में भाषण भी दिया था।
एजेंसियों का कहना है कि इस कार्यक्रम में गांगटे ने ‘भारत में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न’ विषय पर भाषण दिया था। इस टॉपिक के चलते ही चिंता बढ़ गई है कि खालिस्तानी तत्व आदिवासी संगठनों को भी भड़काने में जुटे हैं।
एक इंटेलिजेंस नोट के मुताबिक सरे के गुरुद्वारे में हुए आयोजन से पहले ट्राइबल संगठन और हरदीप सिंह निज्जर के सहयोगियों के बीच एक मीटिंग भी हुई थी। अपने भाषण में गांगटे ने सिख समुदाय के भाइयों का धन्यावद देते हुए कहा था कि आप लोगों ने मणिपुर में कुकी समुदाय के लोगों का साथ दिया है। इस बीच एक और जानकारी सामने आई है कि खालिस्तानी गुरपतंवत सिंह पन्नू चीन के साथ मिलकर भी काम करता है। उसने चीन से अपील करते हुए कहा था कि वह सिखों के रेफरेंडम के लिए समर्थन करे और हम उसे अरुणाचल प्रदेश को लेने में मदद करेंगे।
गौरतलब है कि पाकिस्तानी एक्टिविस्ट करीमा बलोच और चीन की सरकार के आलोचक वेइ हू की भी कनाडा में हत्या हो चुकी है। इसके बाद भी ट्रूडो सरकार ने चीन और पाकिस्तान को लेकर कुछ नहीं कहा। बीते करीब दो सालों में कनाडा में चीनी गतिविधियां बढ़ गई हैं। इसके बाद भी कनाडा ने कभी जवाब नहीं दिया है, जिसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कनाडा ने भारतीय एजेंसियों का रोल बताया था और इसी के चलते विवाद पैदा हो गया।
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