चंडीगढ़: अजनाला थाने पर हुए हमले के बाद अब खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ प्रमुख अमृतपाल सिंह ने एक बड़ा बयान देकर सबको चौंका दिया है. अमृतपाल का कहना है कि वह अपने आपको भारतीय नहीं मानता है. एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में अमृतपाल ने कहा कि भारतीय पासपोर्ट एक दस्तावेज है और इससे वह भारतीय नहीं बन जाता. इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब केंद्रीय एजेंसियां इस खालिस्तान समर्थक की पृष्ठभूमि जांचने में जुटी गई हैं. आपको बता दें कि अमृतपाल दो साल पहले तक दुबई में था और वहां एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के लिए काम करता था. वह 2021 में भारत लौटा और ‘वारिस पंजाब दे’ के संस्थापक दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत के बाद इस संगठन का प्रमुख बना.
अमृतपाल ने कहा कि लवप्रीत की गिरफ्तारी और बाद में पंजाब पुलिस द्वारा उसकी रिहाई ‘भविष्य की दिशा बदल देगी’. उसने यह भी कहा कि अगर पुलिस सतर्क रहती तो घटना टल सकती थी. अमृतपाल ने कहा कि पुलिस ने गलत खुफिया रिपोर्ट के आधार पर जल्दबाजी में कार्रवाई की और अधिकारियों ने मेरे बारे में गलत सूचना दी कि मेरे पास समर्थन नहीं है. अमृतपाल ने कहा कि आतंकवाद कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे मैं शुरू करने में सक्षम हूं. कोई भी उग्रवाद शुरू या समाप्त नहीं कर सकता है. उग्रवाद को एक प्राकृतिक घटना बताते हुए उसने कहा कि यह कहीं भी दमन की लंबी अवधि के बाद होता है. उसने कहा कि मैं किसी को आतंकवाद शुरू करने का आदेश नहीं दे सकता.
उधर अजनाला घटनाक्रम के बाद केंद्र सरकार ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपना रही है. केंद्र सरकार से जुड़े आधिकारिक सूत्र के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पंजाब का इतिहास सबकों से भरा पड़ा है. हम इंतजार कर रहे हैं और देख रहे हैं. कानून और व्यवस्था बनाए रखना अनिवार्य रूप से राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. केंद्र सरकार के एक अन्य सूत्र के हवाले से ‘द ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अमृतपाल सिंह को यूरोप के छोटे हिस्सों के अलावा ब्रिटेन और कनाडा में स्थित कट्टरपंथी तत्वों से वैचारिक समर्थन मिल रहा है. एजेंसियां फंडिंग के रूट का पता लगा कर रही हैं. यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि उसे कौन और किस तरह से फंडिंग कर रहा है.’
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