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    ग्वालियर-चंबल के पास सत्ता की चाबी, चुनाव से पहले बना अखाड़ा

  • March 09, 2023

    • दोनों दलों के नेताओं ने बढ़ाए दौरे

    भोपाल। प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल जमावट में जुट गए हैं। दलों ने क्षेत्रवार जमावट की है, लेकिन इस बार ग्वालियर-चंबल की नब्ज नेताओं के हाथ में पकड़ में नहीं आ रही है। यही वजह है कि सत्ता की चाबी ग्वालियर चंबल के हाथ में है। इसके चलते नेताओं ने क्षेत्र के दौरे बढ़ा दिए हैं। दोनों संभागों में विधानसभा की 34 सीटें हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल ही ऐसा गढ़ है, जिसकी बदौलत कांग्रेस ने साल 2018 में 33 साल बाद ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने 26 सीटें हासिल की थी, जबकि भाजपा सात सीटों पर सिमट गई थी।
    वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने से इन्हीं दो अंचल के कारण कमलनाथ सरकार गिरी थी। अब दोनों दलों की नजर अंचल एसटी, एससी और ओबीसी वोटर्स पर है। यहां 7 सीट सीधे तौर पर एससी के लिए आरक्षित हैं, जबकि अन्य सीटों पर भी एससी का प्रभाव है। यही कारण है कि साल 2023 में होने वाले चुनावों का एपी सेंटर ग्वालियर-चंबल अंचल ही होने वाला है। हाल में 5 फरवरी को संत रविदास जयंती पर कांग्रेस-भाजपा के मुख्य कार्यक्रम ग्वालियर, भिंड में ही हुए। बता दें कि संत रविदास का सीधे तौर पर ग्वालियर से नाता नहीं है। न उनका जन्म यहां हुआ और न ही मृत्यु। उनसे जुड़ा ऐतिहासिक कार्य भी ग्वालियर से नहीं जुड़ा है। बावजूद रविदास जयंती पर कांग्रेस के पीसीसी चीफ कमलनाथ ने ग्वालियर में मुख्य आयोजन में भाग लिया। इसके अलावा, केन्द्रीय मंत्री व भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह ग्वालियर में कार्यक्रमों में रहे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी भिंड व ग्वालियर में मुख्य कार्यक्रम किए। यह तो साफ है कि यहां के स्ष्ट, स्ञ्ज वर्ग को कोई हलके में नहीं ले रहा।


    भाजपा का फोकस ग्वालियर-चंबल अंचल पर
    भाजपा साल 2018 की गलती यहां दोहराना नहीं चाहती। उस समय एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग भाजपा से नाराज था। इसका खामियाजा भाजपा को सत्ता से दूर होकर भुगतना पड़ा था। इस बार भाजपा ग्वालियर-चंबल अंचल के आठ जिलों की करीब 34 विधानसभा सीटों पर ताकत लगाना चाहती है। भाजपा ने अंचल को सौगात दी हैं। जैसे, अंचल से 5 मंत्री सरकार में हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी अंचल से जुड़े हैं। ग्वालियर निवासी पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह को भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। इससे साफ है कि भाजपा ग्वालियर-चंबल अंचल पर फोकस जमाए है।


    हर सप्ताह आ रहे सिंधिया, तोमर
    ग्वालियर-चंबल अंचल पर भाजपा किस तरह अड़ी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा के दो केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेन्द्र सिंह तोमर लगभग हर सप्ताह शनिवार-रविवार को ग्वालियर-चंबल का दौरा कर रहे हैं। ज्योतिरादित्य ग्वालियर तो नरेन्द्र सिंह तोमर चंबल की कमान संभाले हैं। सिंधिया गुना लोकसभा से साल 2019 में चुनाव हारने के बाद अब ग्वालियर से लोकसभा से चुनाव लड़ेंगे, यह तय माना जा रहा है। यही कारण है कि वह हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में जाकर जनता से मिल रहे हैं। कभी किसी बच्ची को गोद में ले लेते हैं, तो कभी सड़क पार करती वृद्ध महिला का सहारा बनते हैं। विकास यात्रा में भी भाजपा ने जोर लगाया है। विकास यात्रा में विकास की बात कम मंत्री, विधायक व नेता जनसंपर्क करते ज्यादा नजर आए हैं।

    पिछला रिजल्ट दोहराने की तैयारी में कांगे्रस
    कांग्रेस भी ग्वालियर-चंबल अंचल पर ताकत लगा रही है। कमलनाथ हाल में दो दौरे कर चुके हैं। रविदास जयंती (पांच फरवरी) को दिनभर ग्वालियर में ही रहे। कांग्रेस आरक्षित वर्ग को हथियार बनाकर भाजपा को साल 2018 का परिणाम दोहराना चाहती है। हाल में हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा परिणाम दिया था। कांग्रेस ने ग्वालियर में भाजपा के 75 साल से अधिक पुरानी सत्ता छीनकर कांग्रेस की मेयर बनाई। इसी तरह, मुरैना में भी कांग्रेस ने महापौर बनाकर भाजपा को पटखनी दी।

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