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    केरल स्वास्थ्य मंत्री का दावा- पूरी तरह से ठीक हुआ भारत का पहला मंकीपॉक्स रोगी

  • July 30, 2022

    तिरुवनंतपुरम: केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शनिवार को घोषणा की है कि देश का पहला मंकीपॉक्स रोगी पूरी तरह से ठीक हो गया है और उसे बाद में दिन में छुट्टी दे दी जाएगी. केरल का 35 वर्षीय मूल निवासी 12 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात से यहां आया था और दो दिन बाद जांच में वायरस से संक्रमित पाया गया था. जब उसमें लक्षण विकसित हुए, तो उसे कोल्लम के एक अस्पताल में ले जाया गया और वहां से उसे त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया जहां उसकी निगरानी की जा रही थी.

    जॉर्ज ने कहा, ‘पूरे उपचार प्रोटोकॉल की योजना नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे द्वारा बनाई गई थी और बार-बार नमूने लिए गए और परीक्षण किए गए. अब तक सभी नमूनों का दो बार नेगेटिव परीक्षण किया गया है और मरीज पूरी तरह से ठीक हो गया है और वह स्वस्थ है.’ शुरुआत में, संक्रमित व्यक्ति के आने के बाद उसके माता-पिता के साथ उसके साथ-साथ यात्रा करने वाले 11 अन्य यात्रियों के साथ घनिष्ठ संपर्क पर चिंता व्यक्त की गई थी.

    लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि आशंकाओं को दूर करते हुए सभी संपर्को को बारीकी से देखा गया है. जॉर्ज ने यह भी कहा कि राज्य में दो अन्य पॉजिटिव मामले भी मध्य पूर्व से आए हैं, जिनकी हालत स्थिर है और वे तेजी से ठीक हो रहे हैं. एक दिन पहले ही सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश में 27 जुलाई तक मंकीपॉक्स के चार मामलों की पुष्टि हुई है जिसमें तीन केरल से और एक दिल्ली में आया है. स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि देश में मंकीपॉक्स से मृत्यु का एक भी मामला सामने नहीं आया है. उन्होंने यह भी कहा कि देश के कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मई महीने से कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.


    मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है.

    हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा, ‘मंकीपॉक्स एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं.’ साहू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “अफ्रीका के बाहर, अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इन मामलों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा व बीमारी से ग्रस्त बंदरों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से जोड़ा गया है.”

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का सिर्फ एक मामला स्पेन से सामने आया है.

    मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है.

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