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    Kerala : खत्म होगी दशकों पुरानी परंपरा, बजट सत्र को संबोधित नहीं कर सकेंगे गवर्नर

  • December 15, 2022

    चेन्नई। केरल (Kerala) में गवर्नर (Governor) बनाम मुख्यमंत्री पी विजयन (Chief Minister P Vijayan ) की लड़ाई इस कदर आगे जा बढ़ी है कि राज्य सरकार (state government) ने दशकों से चली आ रही परंपरा (decades-long tradition) से ही गवर्नर को दूर रखने का फैसला कर लिया है। मामले से परिचित अधिकारियों ने कहा है कि केरल सरकार ने विधानसभा के आगामी बजट सत्र (budget session) में राज्यपाल के अभिभाषण की परंपरा (tradition of governor’s address) को छोड़ने का फैसला किया है। केरल विधानसभा का सातवां सत्र मंगलवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद यह कदम उठाया गया है।

    दशकों से यह परंपरा रही है कि प्रत्येक वर्ष विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत में राज्यपाल का अभिभाषण होता है, लेकिन केरल विधानसभा में आगामी बजट सत्र में ऐसा नहीं होने जा रहा है। चूंकि सातवें सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष ही विधायकों को 10 दिन का नोटिस देकर दोबारा विधानसभा का सत्र बुला सकते हैं।


    घटनाक्रम से वाकिफ एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “विधानसभा का सातवां सत्र मंगलवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था, सत्रावसान नहीं किया गया था। इसलिए बजट सत्र को आगे जारी रखा जाएगा।”

    राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (arif mohammad khan) और राज्य सरकार के बीच चल रहे तनाव के बीच यह नया कदम उठाया गया है। राज्यपाल खान राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं के लिए पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार पर लगातार हमला बोलते रहे हैं। उधर, सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व करने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने राज्य में उच्च शिक्षा के भगवाकरण के कथित प्रयासों को लेकर राज्यपाल पर हमला किया है।

    मंगलवार को ही विधानसभा ने राज्यपाल खान को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद से हटाने और प्रतिष्ठित हस्तियों को इस पद पर नियुक्त करने से जुड़ा एक विधेयक पारित किया है। विपक्षी दलों ने इस दौरान सदन का बहिष्कार किया था। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार राज्यपाल के अभिभाषण को केवल स्थगित कर सकती है, लेकिन इसे खत्म नहीं कर सकती।

    संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पी डी टी आचार्य ने कहा, “संविधान का अनुच्छेद 176 कहता है कि प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से होगी। अगर वे अब उन्हें छोड़ देते हैं, तो अगली बार सत्र बुलाने पर उन्हें उन्हें बुलाना ही होगा।”

    आचार्य ने कहा, “कायदे से विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा सत्र की समाप्ति के बारे में राज्यपाल को सूचित करना चाहिए, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया ताकि राज्यपाल को फिर से न बुलाने की सुविधा मिल सके। लेकिन जब सरकार अगला सत्र बुलाएगी तो राज्यपाल को उपस्थित होना होगा और तकनीकी रूप से,वह वर्ष का पहला सत्र माना जाएगा।”

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