भोपाल। बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा परियोजना में उप्र और मप्र के बीच जल बंटवारे का विवाद अभी सुलझ नहीं पाया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में मप्र ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 700 एमसीएम से ज्यादा पानी उप्र को देने को तैयार नहीं है। बैठक मेें अभी जल बंटवारे पर सहमति नहीं बनी है। हालांकि केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि केन बेतवा लिंक परियोजना से जल आवंटन में मध्यप्रदेश का अहित नहीं होने देंगे। साथ ही उप्र के हितों की भी पूरी रक्षा की जाएगी। जल बंटवारे को लेकर अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संयुक्त बैठक होगी। जिसमें विवाद सुलझ सकता है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मप्र हमेशा से दूसरे राज्यों के हितों की परवाह करता रहा है, परंतु प्रदेश का अहित न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। केन-बेतवा परियोजना से मप्र उत्तरप्रदेश को 700 एमसीएम पानी देने के लिए सहमत है। बैठक में ईस्टर्न राजस्थान नहर परियोजना सह पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना में मप्र एवं राजस्थान के बीच जल उपयोग को लेकर भी बातचीत हुई। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने निर्देश दिए कि 15 जनवरी से आगामी 15 दिनों में दोनों पक्ष निरंतर बातचीत कर हल निकालें। इस परियोजना की डीपीआर में प्रस्तावित बांध एवं बैराजों के लिए 50 फीसदी जल निर्भरता पर जल उपयोग की गणना की गई है। मध्यप्रदेश का कहना है कि इसे 75 फीसदी जल निर्भरता पर आकलन के आधार पर पुनरीक्षित किया जाए।
ज्यादा पानी चाहता है उप्र, मप्र तैयार नहीं
उप्र केन -बेतवा परियोनजा से गैर मानसून अवधि में नवम्बर से मई माह तक 935 एम.सी.एम पानी चाहता है। जबकि मप्र 700 एमसीएम से ज्यादा पानी देने के लिए तैयार नहीं है। दौधन बांध पर 6590 एम.सी.एम जल उपलब्धता के आधार पर बांध से उप्र के लिए 700 एम.सी.एम जल सभी प्रयोजनों के लिए लिंक केनाल सहित नॉन मानसून के दौरान आवंटित करने पर सहमति है। लिंक केनाल द्वारा उप्र को प्रदत्त जल को शामिल करते हुए उप्र को आवंटित 1700 एम.सी.एम जल की एकाउंटिग बरियारपुर पिकअप वीयर पर की जाए। शेष संपूर्ण जल 2733 एम.सी.एम के उपयोग करने के लिए मध्यप्रदेश स्वतंत्र रहेगा।
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